कपास के उत्पादन को बढ़ाने को लेकर कोयंबटूर में हुआ मंथन: केंद्रीय कृषि मंत्री की कपास उत्पादक किसानों से बातचीत

नई दिल्ली। कपास की लगातार गिरती पैदावार और इसकी वजह से कपास किसानों से लेकर कपड़ा उद्योग पर हो रहे नकारात्मक प्रभाव को रोकने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें तमिलनाडु के कोयंबटूर में शुक्रवार को हुई बैठक में नई पॉलिसी पर मंथन किया गया। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों, वैज्ञानिकों और सरकार का आह्वान किया है की वह कपास की बेहतर पैदावार के लिए काम करें। देश में 60 लाख से ज्यादा कपास के किसान हैं और 10 करोड़ लोग कपड़ा उद्योग से जुड़े हुए हैं।
दरअसल भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, जोकि दुनिया का 24 प्रतिशत कपास का उत्पादन करता है, लेकिन भारत में कपास का उत्पादन प्रति एकड़ काफी कम हो रहा है। जिसको लेकर किसान से लेकर इंडस्ट्री के लोग चिंता में है। इसलिए सरकार ने कपास का उत्पादन बढ़ाने के लिए बैठक बुलाई है। जिसमें केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे, विभिन्न राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर, आईसीएमआर के महानिदेशक श्री एम. एल. जाट, अधिकारीगण, हितधारक, वैज्ञानिक और किसान उपस्थित रहे।
इस बैठक से पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने खेतों में जाकर कपास उत्पादक किसानों से बातचीत की और अन्य हितधारकों से बातचीत करते हुए उनकी समस्याओं एवं चुनौतियों के बारे में भी जाना। श्री चौहान ने कहा कि आज यह अहम बैठक तमिलनाडु की पवित्र धरा पर हो रही है। तमिलनाडु, भारत का अत्यंत प्राचीन और महान प्रदेश है। तमिल भाषा का 5,000 साल पुराना ज्ञान का इतिहास है।
तमिलनाडु की इस धरती से आज कपास की क्रांति की शुरुआत होने जा रही है। बैठक का विचार-मंथन मात्र औपचारिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि कपास उत्पादन के लिए विकसित बीटी कॉटन किस्म में वायरस अटैक के कारण कई तरह की समस्या पैदा हो गई हैं। उत्पादन बढ़ने की बजाय घट रहा है। जिसके लिए हमें काम करना होगा। दुनिया के बाकी देशों के समान भारत में भी कपास उत्पादन बढ़ाने को लेकर हरसंभव कदम उठाने होंगे।
