तेजस जिसका अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया भी है फैन, सात देशों में है इसकी डिमांड

नईदिल्ली। भारत की आसमानी चौहद्दी की सुरक्षा में स्वदेश निर्मित एलएसी यानि लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस 1 जुलाई को अपनी सेवा के सात साल पूरे कर रहा है । भारतीय वायुसेना ने 01 जुलाई, 2016 को तेजस के पहली यूनिट का निर्माण करके सेवा में शामिल किया किया था । इस यूनिट का नाम “फ्लाइंग ड्रैगर्स” दिया गया था। इसके बाद मई, 2020 को वायु सेना ने तेजस स्क्वाड्रन की दूसरी यूनिट को सेवा में शामिल किया और इसका नाम “फ्लाई बुलेट” दिया गया। तेजस के दोनों स्क्वाड्रन का बेस वायुसेना का सुलूर बेस है।
मल्टी फंक्शनल लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस वाले ने अब तक मलेशिया, दुबई, श्रीलंका, सिंगापुर एयर शो सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भारत की स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। मार्च, 2023 में संयुक्त अरब अमीरात में एक्स-डेजर्ट फ्लैग विदेशी धरती पर तेजस का पहला अभ्यास था। एचएएल तेजस एकल इंजन, डेल्टा विंग, लाइट मल्टीरोल फाइटर है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर के सहयोग से एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने वायु सेना और नौसेना के लिए डिजाइन किया है।
1980 के दशक में भारतीय वायुसेना के रूस निर्मित मिग-21 लड़ाकू विमानों को रिप्लेस करने के लिए तेजस के उत्पादन की नींव राखी गई थी । लेकिन उस वक्त की सरकारों की रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी की तरफ उदासीनता की वजह से ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में रहा । बाद में साल 2003 में केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेई की आई तो एलसीए को आधिकारिक तौर पर 'तेजस' नाम दिया गया। उड़पादन जब शुरू हुई तब एलसीए विमान की क्षमता को इसके मल्टी-मोड एयरबोर्न रडार, हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, सेल्फ-प्रोटेक्शन सूट और लेजर डेजिग्नेशन पॉड के साथ और उन्नत किया गया । वर्तमान में तेजस के तीन उत्पादन मॉडल हैं -मार्क 1, मार्क 1ए और एक ट्रेनर संस्करण हैं।
फरवरी 2021 में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए जेट की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। तेजस के ये मॉडेल अपडेटेड एवियोनिक्स के साथ-साथ, एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्टीयरड रडार, अपडेटेड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल क्षमता से लैस होंगे। नया संस्करण बढ़ी हुई स्टैंड-ऑफ रेंज से ढेर सारे हथियारों को फायर करने में भी सक्षम होगा। नए वेरियंट में ज्यादातर हथियार स्वदेशी मूल के होंगे। एलसीए तेजस के एमके-1ए संस्करण में अभी तक 50 फीसदी स्वदेशी सामग्री है, जिसे बढ़ा कर 60% तक किए जाने का प्रस्ताव है । तेजस के नए वेरियंट की डिलीवरी वायुसेना में फरवरी, 2024 में शुरू होने की उम्मीद है। जिस तरह से भारतीय नेवी और एयरफोर्स तेजस पर अपना विस्वस जता रहे हैं माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में एलसीए और इसके भविष्य के वेरिएंट भारतीय वायु सेना का मुख्य आधार बनेंगे।
गौरतलब है कि हल्के लड़ाकू विमान तेजस को खरीदने में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मिस्र, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपीन ने भारत सरकार के साथ गहरी दिलचस्पी दिखाई है ।
