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विजय माल्या को झटका, भारत लाने का रास्ता साफ

विजय माल्या को झटका, भारत लाने का रास्ता साफ
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नई दिल्ली। ब्रिटेन के हाई कोर्ट में भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या को बड़ा झटका लगा है। इंग्लैंड और वेल्स की हाई कोर्ट ने सोमवार को भारत में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस पैसले पर ईडी और सीबीआई ने इसे उपलब्धि मामा है।

ब्रिटिश हाई कोर्ट के फैसले पर सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ ने कहा, "यह एक आर्थिक भगोड़े के खिलाफ हमारी लगातार लड़ाई की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह सीबीआई द्वारा की गई अथक और सावधानीपूर्वक जांच की भी पुष्टि करता है।' उन्होंने विजय माल्या को देश की न्यायिक जांच से भागने वाला एक भगोड़ा बताया।

वहीं, इस मामले पर प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छपने की शर्त पर कहा, "माल्या के खिलाफ सबूत बहुत मजबूत हैं। भले ही वह ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में जाएं, उनकी अपील वहां भी खारिज होगी। वह जल्द भारत की जेल में बंद होंगे।'

आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा भगोड़ा घोषित किए जा चुके कारोबारी विज माल्या को बड़ा झटका लगा है। इंग्लैंड और वेल्स की हाई कोर्ट ने सोमवार को भारत में उनके प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया है। भारत में कई बैंकों से उनकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा उधार लिए गए 9,000 करोड़ रुपए के वित्तीय अपराधों के लिए विजय माल्या वान्टेड हैं।

हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब माल्या के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय का मामला अब वहां की गृह सचिव प्रीति पटेल के पास जाएगा।

माल्या ने 31 मार्च को अपने ट्वीट में कहा था, 'मैंने बैंको को लगातार उनके पूरे पैसे चुकाने के लिए ऑफर किया है। न तो बैंक पैसे लेने में तैयार रही है और ना ही प्रवर्तन निदेशालय संपत्तियों को छोड़ने के लिए। काश इस समय वित्त मंत्री मेरी बात को सुनतीं।'

टाइमलाइन :-

- 2 मार्च, 2016 को विजय माल्या लंदन पहुंचा।

- 21 फरवरी 2017 को होम सेक्रेटरी ने माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अर्जी दी।

- 18 अप्रैल, 2017 को विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया है। उसे उसी दिन बेल भी दे दी गई।

- 24 अप्रैल 2017 को उसका भारतीय पासपोर्ट निरस्त कर दिया गया।

- 2 मई 2017 को उसने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया।

- 13 जून 2017 वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस मैनेजमेंट और प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू हुई।

- 10 दिसंबर 2018 को मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनोट प्रत्यर्पण की मंजूरी देती हैं और गृह सचिव को फाइल भेजती हैं।

- 3 फरवरी 2019 को गृह सचिव ने भारत को प्रत्यर्पण का आदेश दिया।

- 5 अप्रैल 2019 को इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डेविड ने अपील करने के लिए कागजात पर अनुमति देने से इनकार कर दिया।

-2 जुलाई, 2019- एक मौखिक सुनवाई में, जस्टिस लेगट और जस्टिस पॉपप्वेल ने इस आधार पर अपील करने की अनुमति दी कि आर्बुथनॉट ने यह निष्कर्ष निकालने में गलती की थी कि भारत ने माल्या के खिलाफ एक प्रथम दृष्टया मामला कायम किया था।

-11-13 मई, 2020 को जस्टिस इरविन और जस्टिस लैंग ने अपील सुनी।

-20 अप्रैल, 2020 को अपील खारिज, अंतिम निर्णय के लिए गृह सचिव के पास गया मामला।

Updated : 20 April 2020 1:48 PM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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