Sambhal Violence: 10 दिसंबर तक "संभल" नहीं जा सकेंगे बाहरी लोग, जिला कलेक्टर ने जारी किया आदेश
उत्तर प्रदेश के संभल जिले की जामा मस्जिद में सर्वे कराने के बाद हिंसा भड़की थी, जो अभी शांत होने का नाम नहीं ले रही। इसी को देखते हुए संभल जिला प्रशासन ने इस संवेदनशील इलाके में किसी भी बाहरी व्यक्ति या फिर जनप्रतिनिधि का आना पूर्णत वर्जित कर दिया है। संभल जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने आज यानी शनिवार को आदेश जारी कर 10 दिसंबर तक जिले में बाहरी लोगों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।
सपा प्रतिनिधिमंडल को भी रोका
जिला प्रशासन का आदेश ऐसे समय में आया है जब प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल संभल जाने वाला था। हालांकि प्रतिनिधिमंडल के सभी 15 सदस्यों को उनके घर में ही रोक दिया गया। ऐसे में अब देखना होगा कि विपक्ष खासकर सपा क्या आगे की रणनीति बनाती है?
आखिर सरकार क्या छिपाना चाहती है?
इस प्रतिनिधिमंडल की विपक्ष के नेता माता प्रसाद कर रहे थे, जिन्होंने कहा कि "आखिर सरकार क्या छिपाना चाहती है? पहले हम शुक्रवार को जाने वाले थे लेकिन प्रशासन ने कहा अभी जुमे की वजह से हालत बिगड़ सकते हैं तीन दिन रुक जाइए अब तीन दिन बाद फिर हमें नहीं जाने दे रहें।"
भाजपा हार चुकी है...अखिलेश यादव
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा "प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देते हैं, वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साज़िशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सच्ची कार्रवाइ करके बर्ख़ास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुक़दमा भी चलना चाहिए।
भाजपा हार चुकी है।"
अभी तक संभल में क्या हुआ?
19 नवंबर को संभल की स्थानीय अदालत में यहां की शाही जामा मस्जिद में सर्वे करने का आदेश दे दिया। इसके बाद 24 नवंबर को एक सर्वे की टीम पहुंच गई। कुछ विशेष समुदाय के लोगों ने सर्वे टीम पर पथराव कर दिया। हिंसा बढ़ने के साथ इसमें पांच लोगों की मौत भी हो गई। जिसको देखते हुए प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने तीन सदस्य न्यायिक आयोग का गठन कर दिया जिसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा कर रहे हैं। वहीं, शुक्रवार को देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भी यहां शांति और सौहार्द बनाए रखने के निर्देश दिए।