नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के जंगलों में 'जंगली योद्धाओं' का उदय, आतंकियों का होगा अंत!

जम्मू-कश्मीर के जंगलों में जंगली योद्धाओं का उदय, आतंकियों का होगा अंत!
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जंगलों और ऊंची चोटियों के बीच, जहां हवाएं रहस्यमयी सायं-सायं करती हैं, एक नई ताकत जन्म ले रही है—'जंगली योद्धा'!

अनीता चौधरी, नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के घने जंगलों और ऊंची चोटियों के बीच, जहां हवाएं रहस्यमयी सायं-सायं करती हैं, एक नई ताकत जन्म ले रही है—'जंगली योद्धा'! ये हैं जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान दस्ता यानि एसओजी के सिपाही हैं। जो अब आतंकियों के लिए यमदूत बन रहे हैं । घने जंगलों में छिपे, पहाड़ों की चोटियों पर डेरा जमाए इन आतंकियों को अब जिंदा बचने का कोई रास्ता नहीं। क्योंकि ये योद्धा, जंगल और पहाड़ों की हर चाल, हर धमक को सीख रहे हैं, ताकि आतंक की आहट के हर निशान मिटा सकें!


दरअसल 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन मैदान में हुए खौफनाक आतंकी हमले ने सबको हिलाकर रख दिया। हमलावर पाकिस्तानी आतंकी थे जो जंगल युद्ध और ऊंचाई वाले इलाकों में माहिर थे। ये आतंकी अमूमन हमला करके जम्मू-कश्मीर के घने जंगलों और खड़ी पहाड़ियों में गायब हो जाते है। 22 अप्रैल को भी कुछ ऐसा ही हुआ था। ऐसी में आतंकियों के नापाक मंसूबों को मिट्टी में मिलाने के लिए सुरक्षा बलों की विशेष ट्रेनिंग के साथ एक बता दस्ता तैयार किया जा रहा है।


जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने एसओजी जवानों के साथ देश के शीर्ष वॉर ट्रेनिंग स्कूलों में इन चुने हुए जवानों को काउंटर टेररिज्म की ट्रेनिंग दी जा रही है, जो आतंकियों के होश उड़ा देगी। घने जंगलों में छिपने की कला, ऊंची चोटियों पर दुश्मन को ढूंढ निकालने का हुनर, और बिजली की तरह तेज हमला ये सभी इस विशेष ट्रेनिंग का हिस्सा है। ये ट्रेनिंग जम्मू कश्मीर के स्थानीय विशेष पुलिस के दस्ते को ही दिया जा रहा है क्योंकि स्थानीय होने की वजह से ये भौगौलिक स्थिति से भली-भांति परिचित है। माना जा रहा है यह ट्रेनिंग आतंकवाद को जम्मू-कश्मीर से जड़ से उखाड़ फेंकने में बड़ा हथियार साबित हो सकता है। ये है!"

आधिकारिक आंकड़ों की अगर मानें तो जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की संख्या अब बहुत कम रह गई है। जम्मू कश्मीर में अब लगभग 140 से भी कम आतंकी बचे हैं जिसमें कश्मीर संभाग में लगभग 65 विदेशी और 13 स्थानीय आतंकी, जबकि जम्मू संभाग में 55-57 आतंकी, जिनमें ज्यादातर विदेशी हैं। ये विदेशी आतंकी गोरिल्ला वॉर यानी जंगल युद्ध में माहिर हैं, लेकिन अब इनका सामना भारत के उन गोरिल्ला योद्धाओं से होने जा रहा है , जो न सिर्फ जंगल की हर पगडंडी को जानते हैं, बल्कि आतंकियों की हर चाल को भांपने में माहिर रहेंगे ।

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