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विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष : स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से हुआ सुधार, लोग भी हुए जागरूक

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष : स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से हुआ सुधार, लोग भी हुए जागरूक
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ग्वालियर, न.सं.। स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है। यह भी कहा जाता है कि धन संपदा चली गई, तो कुछ नहीं गया, लेकिन स्वास्थ्य चला गया, तो सब कुछ लुट गया। बदलते समय के साथ बढ़ती बीमारियों व महामारियों के बीच शरीर को स्वस्थ रखना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन कोरोना संक्रमण से जंग में बीमार स्वास्थ्य सुविधाओं की सेहत में भी तेजी से सुधार हुआ। यही कारण है कि जिन अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं पर्याप्त न होने के कारण मरीजों को उपचार के लिए परेशान होना पड़ता था, वहां आज बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। उधर संक्रमण के दौरान आम लोगों में भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है और लोगों ने अपनी जीवन शैली में परिवर्तन किया है।

जिला अस्पताल मुरार की बात करें तो यहां न तो आईसीयू की सुविधा थी और न ही ऑक्सीजन प्लांट। लेकिन अब अस्पताल ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। क्योंकि यहां दो ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं और 20 पलंग का आईसीयू भी तैयार है, जहां मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इसी तरह आईसीयू में वेन्टीलेटर भी उपलब्ध है, जिससे अब गम्भीर मरीजों को भी उपचार मिल रहा है। वहीं जिला अस्पताल में बच्चे के लिए भी आईसीयू स्थापित किया गया है। इसी तरह सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां 100 पलंग उपलब्ध हैं। साथ ही यहां एक आईसीयू और डायलेसिस यूनिट भी स्थिापित किया गाय है। इसके अलावा यहां जल्द ही सीटी स्कैन की मशीन भी स्थापित की जाएगी।

इतना ही नहीं शहर समेत देहात स्थित कई स्वास्थ्य केंद्र जर्जर हालत में थे। कोरोना महामारी शुरू हुई तो स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की जरूरत ने इनका जीर्णोद्धार करा दिया। इसलिए अब जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल से लेकर अन्य कई अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, वाईपैप, एचएफएनसी समेत कई आधुनिक उपकरणों और दवाओं की कमी को दूर किया जा चुका है।

कोरोना के बाद बढ़े ह्दय व मानसिक रोगी

मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. श्याम राजपूत बताते हैं कि कोरोना के बाद लोगों अपने स्वास्थ्य के प्रति भले ही जागरूक हुए हैं। लेकिन वर्तमान में ह्दय व मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इसलिए इन रोगों से बचने के लिए लोगों नियमित व्ययाम करना चाहिए।

पहले लेते थे मेडिकल से दवा अब दिखाते हैं चिकित्सक को

जयारोग्य चिकित्सालय के मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय गर्ग का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत जागरूक हुए हैं। पहले लोग छोटी-मोटी बीमारियों के लिए लोग मेडिकल से दवा लेकर खा लेते थे, लेकिन अब लोग चिकित्सक को दिखाने के बाद ही दवाएं लेते हैं। इसके अलावा सर्दी खांसी के लिए भी मरीज चिकित्सक को दिखाते हैं।

बुजुर्गों को दे रहे नि:शुल्क परामर्श

बीआईएमआर अस्पताल में पदस्थ रह चुके मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. श्याम राजपूत अपनी निजी क्लीनिक पर बुजुर्गों को नि:शुल्क परामर्श देते हैं। डॉ. राजपूत अपनी क्लीनिक पर प्रतिदिन 20 से 25 मरीजों को नि:शुल्क ही देखते हैं। इसके अलावा अगर किसी मरीज को भर्ती करने की आवश्यता पड़ती है तो उससे बहुत कम शुल्क ही लेते हैं।

प्रति रविवार देते हैं नि:शुल्क सेवाएं

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. राहुल सप्रा समप्ताह में प्रति रविवार अपनी क्लीनिक पर दोपहर 1 से 2 बजे तक नि:शुल्क सेवाएं देते हैं। डॉ. सप्रा का कहना है कि उनके अस्पताल में अगर कोई गरीब मरीज भी आता है तो उसे 50 प्रतिशत तक छूट दी जाती है। इसके अलावा ऐसे मरीज जिनके पास उपचार के लिए पैसे ही नहीं होते, उनकी भी मदद की जाती है। डॉ. सप्रा ने यह भी बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद लोग खुद तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए है। साथ ही अपने बच्चों का भी ख्याल रखने लगे हैं।

Updated : 9 April 2023 8:13 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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