भारत छोड़ो आंदोलन से हिल गई थी औपनिवेशिक शासन की नींव : प्रधानमंत्री मोदी

भारत छोड़ो आंदोलन से हिल गई थी औपनिवेशिक शासन की नींव : प्रधानमंत्री मोदी
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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अभिलेखागार से भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित कुछ दस्तावेजों को साझा कर संघर्ष के दिनों की याद दिलाई

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 76वीं वर्षगांठ के मौके पर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। देश को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने देशवासियों को 'करो या मरो' का नारा दिया था। इस दिन को प्रतिवर्ष अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है।


प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अभिलेखागार से भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित कुछ दस्तावेजों को साझा कर संघर्ष के दिनों को देश के सामने ताजा कर दिया है। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद सहित नेताओं की गिरफ्तारी और देश के विभिन्न शहरों में आंदोलन और पुलिस कार्यवाही से जुड़े दस्तावेज पेश किए हैं। उन्होंने उस दौरान भारत छोड़ो विषय से संबंधित अटल बिहारी वाजपेयी की एक साप्ताहिक पत्र में छपी कविता भी साझा की है।

राष्ट्रपति कोविंद ने आज ट्वीट संदेश में कहा, 'भारत छोड़ो दिवस' की 76वीं वर्षगांठ पर, हम आज़ादी के अनगिनत योद्धाओं को याद करते हैं जिन्होंने हमारी स्वाधीनता के लिए सब कुछ अर्पित कर दिया। ऐसे ही कुछ स्वतंत्रता सेनानियों से आज शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित 'स्वागत समारोह' में भेंट की प्रतीक्षा है।

उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेनी वाली महिलाओं और पुरूषों को याद किया। उन्होंने कहा भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण संदर्भ है। इसी आंदोलन ने ब्रिटिश राज से मुक्ति के लिए पूरे देश को संकलपित कर दिया था।

उन्होंने ट्वीट में कहा यह अच्छी तरह से पढ़ा नहीं जा रहा है। औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा दायर की गई एक रिपोर्ट के पेज दिखाते हैं कि भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से, बापू ने औपनिवेशिक शासन की नींव को हिलाकर स्वतंत्रता की दिशा में अपनी यात्रा को तेज कर दिया। महात्मा गांधी के आह्वान ने राष्ट्र में जोश भर दिया। यहां एक और आधिकारिक रिपोर्ट है जो भारत छोड़ो आंदोलन और व्यापक पैमाने पर भागीदारी के प्रसार को दर्शाती है।

प्रधानमंत्री ने जो दस्तावेज साझा किए हैं उनमें मुंबई सिटी में महात्मा गांधी और वर्किंग कमेटी के सदस्यों को गिरफ्तार करने का जिक्र है। ट्राम कार, बस आदि में आग लगाने और भारी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए अंग्रेज पुलिस द्वारा आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। पुलिस ने 15 स्थानों पर फायरिंग की इससे 8 लोगों की मौत हो गई और 44 घायल हो गए। 125 अन्य गंभीर हो गए| इसमें 27 पुलिसकर्मी भी थे। अहमदाबाद में मिल की हड़ताल। यहां भी पुलिस ने फायरिंग की इसमें एक की मौत हो गई जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया। पूना में पुलिस ने छात्रों की भीड़ पर फायरिंग की इसमें भी एक छात्र की मौत हो गई जबकि एक घायल हो गया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार किया गया। लखनऊ, इलाहाबाद और कानपुर में हड़ताल की कोशिश हुई। बिहार में राजेन्द्र प्रसाद और अन्य नेताओं को गिरफ्तार किया गया। पंजाब के लाहौर और अमृतसर में बड़ी बैठकें हुईं। दिल्ली में आंशिक हड़ताल। प्रदर्शन और बैठकों में छात्रों ने भी हिस्सा लिया।

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, राष्ट्रीय अभिलेखागार का धन्यवाद। भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित इतिहास के कुछ आकर्षक अंश मिल गए। अटल जी द्वारा भारत छोड़ो पर एक कविता यहां दी गई है। यह 11 फरवरी 1946 को श्री मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित एक साप्ताहिक समाचार पत्र 'अभ्यद्य' में प्रकाशित हुई थी। शीर्षक था 'सुनो प्रलय की अगवानी का स्वर'।

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