प्रधानमंत्री ने देश को सौंपी एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर फैक्ट्री, कहा- रक्षा क्षेत्र में बढ़ी भारत की आत्मनिर्भरता

प्रधानमंत्री ने देश को सौंपी एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर फैक्ट्री, कहा- रक्षा क्षेत्र में बढ़ी भारत की आत्मनिर्भरता
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615 एकड़ भूमि में फैली फैक्टरी में प्रति वर्ष बनेंगे 30 लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर

बेंगलुरु। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की रक्षा जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भरता को कम करने की दिशा में पिछले आठ सालों में उठाये गये कदमों का उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को बल दे रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को कर्नाटक के तुमकुरु में एचएएल हेलीकॉप्टर फैक्ट्री राष्ट्र को समर्पित करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। इसकी आधारशिला भी 2016 में उन्होंने स्वयं रखी थी। प्रधानमंत्री ने कहा, "बीते आठ वर्षों में हमने एक तरफ सरकारी फैक्ट्रियों, सरकारी डिफेंस कंपनियों के कामकाज में सुधार किया, उनको ताकतवर बनाया, वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट सेक्टर के लिए भी दरवाजे खोले। इससे कितना लाभ हुआ, वो हम एचएएल में भी देख रहे हैं।"

संसद की अनेक कामकाजी घंटे इस पर बर्बाद हो गए -

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यही एचएएल है, जिसे बहाना बनाकर हमारी सरकार पर तरह-तरह के झूठे आरोप लगाए गए। यही एचएएल है, जिसका नाम लेकर लोगों को भड़काने की साजिशें रची गईं, लोगों को उकसाया गया। लेकिन झूठ कितना ही बड़ा क्यों ना हो, सच के आगे एक दिन जरूर हारता है। संसद की अनेक कामकाजी घंटे इस पर बर्बाद हो गए।उन्होंने आगे कहा कि आज एचएएल की यह हेलीकॉप्टर फैक्ट्री और उसकी बढ़ती ताकत बहुत से पुराने झूठों और झूठे आरोप लगाने वालों का पर्दाफाश कर रही है। आज वही एचएएल भारत की सेनाओं के लिए आधुनिक तेजस बना रहा है। विश्व के आकर्षण का केंद्र है। आज एचएएल डिफेंस सेक्टर में भारत की आत्मनिर्भरता को बल दे रहा है।

लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) का निर्माण -

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह हेलीकॉप्टर फैक्टरी 615 एकड़ भूमि में फैली हुई है, इसलिए यहां देश की जरूरतों के लिहाज से हेलीकॉप्टर निर्माण करने की योजना बनाई गई है। यह भारत की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर फैक्टरी होगी, जहां शुरुआत में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) का निर्माण किया जायेगा। शुरुआती दौर में फैक्टरी में प्रति वर्ष लगभग 30 हेलीकॉप्टर का निर्माण होगा और इसे चरणबद्ध तरीके से 60 और फिर 90 प्रति वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। बेंगलुरु में एचएएल के मौजूदा कारखानों से एयरोस्पेस विनिर्माण इको-सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा।

इसी फैक्टरी में लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और भारतीय मल्टीरोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) जैसे अन्य हेलीकॉप्टरों का निर्माण किये जाने की योजना है। भविष्य में इस फैक्टरी का उपयोग एलसीएच, एलयूएच, सिविल एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) और आईएमआरएच के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल के लिए भी किया जाएगा। सिविल एलयूएच का संभावित निर्यात भी इसी फैक्टरी से किया जायेगा। एलयूएच स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित 3-टन वर्ग, एकल इंजन बहुउद्देश्यीय उपयोगिता हेलीकॉप्टर है, जिसमें अनूठी विशेषताएं हैं।

चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार

फैक्टरी में हेली-रनवे, फ्लाइट हैंगर, फाइनल असेंबली हैंगर, स्ट्रक्चर असेंबली हैंगर, एयर ट्रैफिक कंट्रोल पहले से ही कार्यरत हैं, लेकिन अब इसे अत्याधुनिक उद्योग 4.0 मानक उपकरणों और तकनीकों से लैस किया जा रहा है। अगले 20 वर्षों में एचएएल की योजना चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने के साथ 3-15 टन की सीमा में 1,000 से अधिक हेलीकॉप्टरों का निर्माण करने की है। इससे कर्नाटक के तुमकुरु में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करने के अलावा निकटवर्ती क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्र के लोगों के जीवन में सुधार आएगा।

187 हेलीकॉप्टर खरीदने की योजना बनाई

प्रधानमंत्री ने 2016 में इस फैक्टरी की आधारशिला रखी थी। यह फैक्टरी भारत को बिना आयात के हेलीकॉप्टरों की अपनी संपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम बनाएगी और हेलीकॉप्टर डिजाइन, विकास और विनिर्माण में प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को प्रोत्साहन देगी। एचएएल से कुल 187 हेलीकॉप्टर खरीदने की योजना बनाई गई है, जिनमें से 126 एलयूएच भारतीय सेना के लिए और 61 भारतीय वायु सेना के लिए हैं।

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