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महिलाओं ने ठाना, अब नहीं आने देंगी पुरानी सरकारों का जमाना : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने प्रयागराज में महिला सम्मेलन को संबोधित किया

महिलाओं ने ठाना, अब नहीं आने देंगी पुरानी सरकारों का जमाना : प्रधानमंत्री
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प्रयागराज। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संगमनगरी में मातृशक्ति के महाकुंभ में भाग लेने पहुंचे है। उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के बैंक खाते में 1,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इससे एसएचजी की 16 लाख से ज्यादा महिलाओं को लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा पिछले वर्ष फरवरी में हम कुंभ में प्रयागराज की पवित्र भूमि पर आए थे, तब संगम में डूबकी लगाकर अलौकिक आनंद का अनुभव प्राप्त किया। तीर्थ राज प्रयाग की ऐसी पावन भूमि को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं।प्रयागराज हजारों सालों से हमारी मातृशक्ति की प्रतीक माँ गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम की धरती रही है। आज ये तीर्थ नगरी नारी-शक्ति के इतने अद्भुत संगम की भी साक्षी बन रही है।


उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में विकास के लिए, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जो काम हुआ है, वो पूरा देश देख रहा है। अभी मुझे यहां मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की 1 लाख से ज्यादा लाभार्थी बेटियों के खातों में करोड़ो रूपये ट्रांसफर करने का सौभाग्य मिला।यूपी सरकार ने बैंक सखियों के ऊपर 75 हजार करोड़ रुपये के लेनदेन की जिम्मेदारी सौंपी हैं। 75 हजार करोड़ रुपये का कारोबार गांवों में रहने वाली मेरी बहनें-बेटियां कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश की महिलाओं ने, माताओं-बहनों-बेटियों ने ठान लिया है- अब वो पहले की सरकारों वाला दौर, वापस नहीं आने देंगी। डबल इंजन की सरकार ने यूपी की महिलाओं को जो सुरक्षा दी है, जो सम्मान दिया है, उनकी गरिमा बढ़ाई है, वो अभूतपूर्व है।बेटियां कोख में ही ना मारी जाएं, वो जन्म लें, इसके लिए हमने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के माध्यम से समाज की चेतना को जगाने का प्रयास किया। आज परिणाम ये है कि देश के अनेक राज्यों में बेटियों की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है। प्रसव के बाद भी बिना चिंता के अपने बच्चे की शुरुआती देखरेख करते हुए मां अपना काम जारी रख सके। इसके लिए महिलाओं की छुट्टी को 6 महीने किया गया है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा दशकों तक ऐसी व्यवस्था रही कि घर और घर की संपत्ति को केवल पुरुषों का ही अधिकार समझा जाने लगा। घर है तो किसके नाम? पुरुषों के नाम। खेत है तो किसके नाम? पुरुषों के नाम। नौकरी, दुकान पर किसका हक? पुरुषों का। आज हमारी सरकार की योजनाएं, इस असमानता को भी दूर कर रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो घर दिये जा रहे हैं, वो प्राथमिकता के आधार पर महिलाओं के ही नाम से बन रहे हैं।

रोजगार के लिए, परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए जो योजनाएं देश चला रहा है, उसमें भी महिलाओं को बराबर का भागीदार बनाया जा रहा है। मुद्रा योजना आज गांव-गांव में, गरीब परिवारों से भी नई-नई महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है।रोजगार के लिए, परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए जो योजनाएं देश चला रहा है, उसमें भी महिलाओं को बराबर का भागीदार बनाया जा रहा है। मुद्रा योजना आज गांव-गांव में, गरीब परिवारों से भी नई-नई महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है।बेटियां भी चाहती थीं कि उन्हें उनकी पढ़ाई लिखाई के लिए, आगे बढ़ने के लिए समय मिले, बराबर अवसर मिलें।

5 साल पहले यूपी की सड़कों पर माफियाराज था! यूपी की सत्ता में गुंडों की हनक हुआ करती थी! इसका सबसे बड़ा भुक्तभोगी कौन था? मेरे यूपी की बहन बेटियां थीं। उन्हें सड़क पर निकलना मुश्किल हुआ करता था। स्कूल, कॉलेज जाना मुश्किल होता था। इसलिए, बेटियों के लिए शादी की उम्र को 21 साल करने का प्रयास किया जा। आप कुछ कह नहीं सकती थीं, बोल नहीं सकती थीं। क्योंकि थाने गईं तो अपराधी, बलात्कारी की सिफ़ारिश में किसी का फोन आ जाता था। योगी जी ने इन गुंडों को उनकी सही जगह पहुंचाया है।

Updated : 22 Dec 2021 8:54 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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