जलवायु परिवर्तन से छोटे द्वीप देशों को सबसे ज्यादा खतरा, आईरिस बढ़ाएगा आशा : प्रधानमंत्री

ग्लासगो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से छोटे विकासशील द्वीप देशों को सबसे ज्यादा खतरा है। ऐसे में उनकी चिंता करना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है और यह एक तरह से हमारे पापों का साझा प्रायश्चित है।
Speaking at the launch of 'Infrastructure for Resilient Island States' initiative. https://t.co/WMLYr56R0M
— Narendra Modi (@narendramodi) November 2, 2021
प्रधानमंत्री ने यह बातें जलवायु परिवर्तन से जुड़े वैश्विक कॉप-26 शिखर सम्मेलन के दौरान 'इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेसिलिएंट आइलैंड स्टेट्स' (आइरिस) की शुरूआत के दौरान कहीं। मोदी ने कहा कि आईरिस का शुभारंभ सबसे कमजोर देशों के लिए नई आशा, नया आत्मविश्वास और कुछ करने की संतुष्टि देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दशकों ने साबित कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रकोप से कोई भी अछूता नहीं है। जलवायु परिवर्तन की समस्या से विकसित या विकासशील कोई देश अछूता नहीं रहा है। सबसे ज्यादा खतरा 'छोटे विकासशील द्वीप देशों' (सिड्स) को है। उनके लिए यह जीवन और मृत्यु का प्रश्न है। पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था के चलते इन देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण आर्थिक चुनौतियां भी है। पर्यटक प्राकृतिक आपदा के चलते इन देशों की यात्रा नहीं करते हैं।
प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के लिए मनुष्य के स्वार्थपूर्ण व्यवहार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि इससे बने प्रकृति के अस्वाभाविक व्यवहार से छोटे विकासशील देशों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।उन्होंने कहा, "मेरे लिए सीडीआरआई या आईआरआईएस सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर की बात नहीं है बल्कि ये मानव कल्याण के अत्यंत संवेदनशील दायित्व का हिस्सा है। ये मानव जाति के प्रति हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। ये एक तरह से हमारे पापों का साझा प्रायश्चित भी है ।"
प्रधानमंत्री ने सीडीआरआई को बरसों के अनुभव और मंथन का परिणाम बताया और कहा कि छोटे द्वीप देशों पर मंडरा रहे जलवायु परिवर्तन के खतरे को भांपते हुए भारत ने पैसिफिक द्वीप देशों और कैरिकॉम देशों के साथ सहयोग के लिए विशेष व्यवस्थाएं बनाईं। हमने उनके नागरिकों को सोलर तकनीकों में प्रशिक्षित किया, वहां अवसंचना के विकास के लिए निरंतर योगदान दिया।
उन्होंने घोषणा की कि भारत की स्पेस एजेंसी इसरो सिड्स के लिए एक स्पेशल डेटा विंडो का निर्माण करेगी। इससे सिड्स को सैटेलाइट के माध्यम से सायक्लोन, कोरल-रीफ मॉनीटरिंग, कोस्ट-लाइन मॉनीटरिंग आदि के बारे में समय से जानकारी मिलती रहेगी।
छोटे द्वीप देशों की तुलना मोतियों की माला से करते हुए प्रधानमंत्री ने उन्हें विश्व की शोभा बताया। ऐसे में उनके लिए आइरिस को साकार करने में सीडीआरआई और सिड्स की भूमिका का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह सह-सृजन और सह-लाभ का अच्छा उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आईरिस के माध्यम से सिड्स को तकनीक, वित्त, जरूरी जानकारी तेजी से तैनात करने में आसानी होगी। छोटे द्वीप देशों में क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहन मिलने से वहां जीवन और आजीविका दोनों को लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान विश्वास दिलाया कि भारत इस नयी परियोजना को पूरा सहयोग देगा और इसकी सफलता लिए सीडीआरआई और अन्य सहयोगी देशों और संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करेगा।
