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भारत-बांग्लादेश की विरासत व चुनौतियां एकसमान और मैत्री चिरंजीवी : प्रधानमंत्री

भारत-बांग्लादेश की विरासत व चुनौतियां एकसमान और मैत्री चिरंजीवी : प्रधानमंत्री
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ढाका। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में मुक्ति वाहिनी के योद्धाओं और भारतीय शूरवीरों के शौर्य-पराक्रम और बलिदान का स्मरण करते हुए कहा कि भारत और बांग्लादेश की विरासत और उनके सामने खड़ी चुनौतियां साझा हैं। जबकि दोनों देशों की मैत्री चिरंजीवी है।

बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर नेशनल परेड ग्राउंड में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व और संघर्ष को याद किया। साथ ही पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश के बुद्धिजीवियों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम आदमियों पर किए गए अत्याचारों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि एक अत्याचारी सरकार अपने ही लोगों पर किस तरह जुल्म ढाती है, यह 1970-71 में पूरी दुनिया ने देखा है। पाकिस्तानी हुक्मरानों और सेना के जुल्मों सितम से निजात पाने की जितनी तड़प इधर (बांग्लादेश) में थी उतनी ही तड़प उधर (भारत) में भी थी।

जीवन के पहले सत्याग्रह का किया जिक्र -

प्रधानमंत्री ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में भारतीय सेना की गौरवपूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि फील्ड मार्शल मानिक शाह, लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा, लेफ्टिनेंट जनरल जैकब, अल्बर्ट इक्का जैसे अनेक भारतीय सैनिक अधिकारी और जवान है, जिन्होंने बांग्लादेश की मुक्ति में योगदान दिया था। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में मोदी ने अपने योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उस समय उनकी आयु 20-22 वर्ष थी तथा उन्होंने सत्याग्रह किया था। इस सिलसिले में वह जेल भी गए थे। यह उनके राजनीतिक जीवन का पहला आंदोलन था।

इंदिरा गांधी के प्रयासों को सराहा -

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बांग्ला भाषा में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर, काजी नजरूल इस्लाम आदि के कथनों को उद्धत किया। मोदी के भावपूर्ण भाषण के दौरान मेजबान देश के राष्ट्रपति अब्दुल हामिद, प्रधानमंत्री शेख हसीना और श्रोताओं ने बार-बार करतल ध्वनि की। मोदी ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत में हर राजनीतिक दल और समाज के हर वर्ग ने स्वयं को बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध से जोड़ा था।

उग्रवाद बड़ी चुनौती -

मोदी ने आतंकवाद और उससे जुड़ी सोच के प्रति भी लोगों को आगाह किया। उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए आतंकवाद और उग्रवादी विचारधारा एक बड़ी चुनौती है। ऐसी शक्तियां आज भी सक्रिय हैं तथा उनसे सावधान रहना होगा। इसके लिए उन्होंने भारत और बांग्लादेश के बीच एकजुटता को जरूरी बताया।दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों और आपसी विश्वास एवं सद्भाव का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी के बलबूते दोनों देशों के बीच भूमि एवं सीमा समझौता संभव हो पाया। इसी दोस्ती का एक उदाहरण भारत से बांग्लादेश को कोविड वैक्सीन की आपूर्ति भी है। उन्होंने कहा कि अपनी विकास यात्रा में दोनों देश अब समय नहीं गंवा सकते। गरीबी और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में दोनों को एक साथ आगे बढ़ना है।

सुवर्ण' जयंती स्कॉलरशिप -

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बांग्लादेश के 50 नवोदित उद्यमियों को भारत आने का निमंत्रण दिया ताकि वह भारत में चल रहे स्टार्टअप और अन्य आर्थिक गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकें। उन्होंने बांग्लादेश के युवाओं के लिए 'सुवर्ण' जयंती स्कॉलरशिप की भी घोषणा की।बांग्लादेश की विकास यात्रा की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान सहित दुनिया में बहुत सी ऐसी ताकतें थी, जिन्हें बांग्लादेश के अस्तित्व पर ऐतराज था। बांग्लादेश ने पिछले पचास वर्षों के दौरान उसके अस्तित्व पर ऐतराज और आशंका व्यक्त करने वाले लोगों को गलत साबित कर दिया।

स्मृति चिन्ह भेंट किया -

इससे पहले बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की छोटी बेटी शेख रेहाना ने प्रधानमंत्री को एक बंगबंधु स्मृति चिन्ह प्रदान किया। वहीं प्रधानमंत्री ने उन्हें हाल ही में बंगबंधु को मरणोपरांत दिए गए गांधी शांति पुरस्कार-2020 प्रदान किया। अपने उद्बोधन में भी प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि हमें शेख मुजीबुर रहमान को गांधी शांति पुरस्कार के साथ सम्मानित करने का अवसर मिला।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के साथ राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ढाका के नेशनल परेड ग्राउंड में शेख मुजीबुर रहमान को श्रद्धांजलि देने के लिए 'मुजीब जैकेट' पहनकर पहुंचे थे।

Updated : 12 Oct 2021 10:50 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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