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मुकाबले में कहीं दिखाई नहीं दे रहे सपाक्स, राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा जैसे संगठन

पिछले दिनों बड़े पैमाने पर आंदोलन कर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का किया था घेराव , सरकारें पलट देने की दी थी चेतावनी

मुकाबले में कहीं दिखाई नहीं दे रहे सपाक्स, राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा जैसे संगठन
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ग्वालियर/स्वदेश वेब डेस्क। पिछले दिनों लगातार आंदोलन कर राजनेताओं का घेराव करने वाले और सत्ता परिवर्तन की चुनौती देने वाले संगठन इस चुनाव में अभी तक कहीं दिखाई नहीं दिये हैं। केंद्रीय मंत्रियों, मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों सहित कुछ गिने चुने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को काले झंडे दिखाने की हिम्मत रखने वाले युवाओं का जादू खत्म हुआ लगने लगा है।

सितम्बर के महीने में कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की लक्ष्मीबाई की समाधि के सामने स्थित फूलबाग मैदान पर हुई सभा के बाद समाज में एक ज्वाला भड़की थी। ये ज्वाला थी उन ताकतों के विरोध में जिन पर आरोप लगाए गए कि वो समाज को बांटना चाहती हैं, भाई को भाई से लड़ाना चाहती हैं, लोगों के घर तोड़ देना चाहती हैं। मंच से केंद्र सरकार को दो महीने का समय दिया गया कि वो एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए संशोधन को स्वीकार कर ले वरना नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहे। करणी सेना और सपाक्स के इस संयुक्त आयोजन के बाद तय स्क्रिप्ट के तहत नियमित रूप से किसी न किसी मंत्री का घेराव किया जाने लगा। काले झंडे दिखाए जाने लगे और चेतावनी दी जाने लगी कि यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में देख लिया जाएगा। कहा ये भी गया कि सपाक्स, राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा, आरक्षण विरोधी पार्टी आदि के प्रत्याशी जहाँ जहाँ खड़े होंगे बाकी प्रत्याशियों की जमानत जब्त करा देंगे।

समाज के लोगों के हित की बात करने वाले इन सभी संगठनों ने मध्यप्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी कहा था कि वो अपने प्रत्याशी खड़े करेंगे, लेकिन पूरी 230 विधानसभा सीटें तो छोड़िये प्रदेश में जहाँ भी इन दलों के प्रत्याशी खड़े हुए हैं वहां इन संगठनों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। विशेष बात ये है कि देवकी नंदन ठाकुर इन चुनावों में कहाँ और कितने सक्रिय हैं कोई नहीं जानता।

विशेष बात ये है कि आंदोलन में साथ रहने वाले ये सभी संगठन एक दूसरे के ही विरोध चुनाव मैदान में हैं उदाहरण के तौर पर ग्वालियर जिले की छह विधानसभा सीटों को देख लेते हैं। यहाँ ग्वालियर विधानसभा से सपाक्स से अनिल कुमार गुप्ता मैदान में हैं तो यहीं से आरक्षण विरोधी पार्टी के कौस्तुभ शर्मा महंत एवं राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा के कृष्ण कुमार शर्मा भी मैदान में हैं। ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा के टिकट पर डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव चुनाव लड़ रहे हैं तो सपाक्स से अमित दुबे भी मैदान में हैं। ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से सपाक्स के टिकट पर अनुपमा सिंह डंडोतिया चुनाव लड़ रहीं हैं तो गजेंद्र सिंह कुशवाह राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा से मैदान में हैं । ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में आरक्षण विरोधी पार्टी से डॉली शर्मा खड़ी हुई हैं तो रामसिया परिहार राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। भितरवार विधानसभा से राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा के टिकट पर तारा सिंह मैदान में हैं तो सपाक्स के टिकट पर ध्यानेन्द्र शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीँ डबरा विधानसभा राष्ट्रीय रक्षक मोर्चा के टिकट पर अवतार सिंह बिजौल चुनाव लड़ रहे हैं। मतलब साफ है कि सितम्बर के महीने षड्यंत्रपूर्वक जो ज्वाला भड़की थी उसकी तपन कम हो गई है। और जिस प्रकार से इन संगठनों के प्रत्याशियों के प्रचार अभियान की गति अभी है उससे तो साफ कहा जा सकता है कि इनकी विधानसभा तक की डगर बहुत ही मुश्किल है। (हि.स)

Updated : 9 Dec 2018 2:09 PM GMT
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