मदर टेरेसा NGO का कारनामा : 'क्रूरता' कुचक्र से सरकार को घेरने का कुप्रयास

मदर टेरेसा NGO का कारनामा : क्रूरता कुचक्र से सरकार को घेरने का कुप्रयास
एनजीओ ने खुद फ्रीज कराए अपने बैंक खाते

कोलकाता। मदर टेरेसा के एनजीओ मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए नवीनीकरण आवेदन मानकों पर खरा नहीं पाए जाने के कारण गृह मंत्रालय द्वारा अस्वीकृत कर दिया गया है। विदेशी चंदा अभिदाय कानून (एफसीआरए) में संशोधन के बाद एनजीओं को नए मानकों को पूरा करना होता है, मिशनरीज ऑफ चैरिटी इन मानकों को पूरा नही कर पाया है। इस मुद्दे को लेकर आज दिन भर बंगाल की मुख्यमंत्रीयमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर हमलावर रही.

उन्होंने ट्वीट किया, 'यह सुनकर हैरानी हुई कि यूनियन मिनिस्ट्री ने क्रिसमस के दिन मदर टेरेसा की मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सारे बैंक खाते भारत में फ्रीज कर दिए है। इससे मिशनरीज के 22 हजार मरीजों और कर्मचारियों के पास न खाना बचा है, न दवा। कानून भले ही सबसे ऊपर है, लेकिन मानवीय प्रयासों से भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।वहीं दूसरी ओर मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने पहले एक बयान जारी कर केंद्र सरकार पर कू्ररता पूर्ण कार्रवाही करने का आरोप लगाया। संगठन ने मिथ्या सहानुभूति अर्जित करने के उद्देश्य से अपने बयान में कहा कि यह कार्रवाही भारत के गरीबों पर एक आक्रमण हैं। भारत सरकार ने अपने आधिकारिक बयान में आज स्पष्ट किया कि सरकार ने मिशनरीज के खातों को फ्रीज नही किया है बल्कि संस्था ने खुद ही बैंक को अपने खाते फ्रीज करने का आवेदन दिया है।

हालांकि सरकार के स्पष्टीकरण के बाद मदर टेरेसा की संस्था के प्रवता सुनीत कुमार ने सुर बदलते हुए कहा कि, हमें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया जहां तक मेरी बात है, मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं है। भारत सरकार ने हमें ऐसा कुछ भी नहीं बताया है। हमारे बैंक के लेनदेन अच्छे से हो रहे हैं। इस घटनाक्रम के साथ ही उदारवादियों का बड़ा वर्ग मदरटेरेसा के नाम से सरकार विरुद्ध खड़ा हो गया है।

गृह मंत्रालय ने नहीं किये खाते फ्रीज -

सरकार ने साफ किया है कि गृह मंत्रालय द्वारा मदर टेरेसा के एनजीओ के खाते फ्रीज नही किये है उलटे संगठन ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर खुद ही अपने एफसीआरए खाते को फ्रीज कराया है।

गुजरात में दर्ज हुआ है मामला -

गुजरात के वडोदरा शहर के मकरपुरा में मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित एक संस्थान मदर टेरेसा आश्रम पर वहां रहने वाली युवतियों का कनवर्जन करने का कथित प्रयास करने के आरोप में इस महीने मामला दर्ज किया गया है। मकरपुरा पुलिस ने लड़कियों के लिए बाल गृह के खिलाफ संशोधित गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2003 की धारा 295 (ए) के तहत धार्मिक भावनाओं या किसी भी वर्ग को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से संबंधित मामला दर्ज किया है।इससे पहले नवजात बच्चों की तस्करी के गंभीर आरोप भी मदर टेरेसा की संस्था 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी पर लग चुके है।

9 अरब का विदेशी चंदा -

संस्था ने विाीय वर्ष 2006-07 से 2016-17 के बीच यानी 10 साल के भीतर नौ अरब 17 करोड़ 62 लाख रुपए का विदेशी फंड लिया है। यह रकम विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत मिली है। फंड का यह आंकड़ा कोलकाता रीजन का है, जिसके अंतर्गत झारखंड, पश्चिम बंगाल व बिहार की मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थाएं आती हैं।देश भर में मदर टेरेसा के एक दर्जन ऐसी इकाइयां है।

खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट 310 अरब का विदेशी चंदा -

एफसीआरए रद्द करने के लिए पूर्व में भी सरकार की खुफिया एजेंसी रिपोर्ट कर चुकी है। गत वर्ष खुफिया एजेंसी ने सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में यह पर्दाफाश किया था कि विाीय वर्ष 2012-2013 से 2014-2015 तक तीन वर्ष के भीतर 100 से अधिक ईसाई मिशनरियों ने 310 अरब का विदेशी फंड लिया। ऐसी संस्थाओं के एफसीआरए को रद्द करने की अनुशंसा की गई है। 22 हजार संस्थाओं पर कार्रवाई : केंद्रीय गृह मंत्रालय अभी तक नए एफसीआरए कानून के तहत करीब 22 हजार ऐसे एनजीओ के विदेशी चंदा लायसेंस रद्द कर चुका है जिनके विरुद्ध कनवर्जन एवं धन के दुरूपयोग के गंभीर आरोप है।

क्या है मामला -

भारत सरकार ने नए विदेशी अभिदाय कानून 2020 के तहत विदेशी चंदा लेनें वाले स्वयंसेवी संगठनों के लिए कड़ी नियमावली लागू कर दी है। इसके तहत 25 दिसबर को आयोजित बैठक में मिशनरीज ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस नवीनीकरण का आवेदन विचारार्थ प्रस्तुत था। इस संगठन का लाइसेंस 31 अटूबर को समाप्त हो गया था जिसे 31 दिसबर तक के लिए बढाया गया था। गृह मंत्रालय के पास इस संगठन के विरुद्ध गंभीर शिकायत एवं साक्ष्य प्रस्तुत किये थे जिनका समाधान संगठन द्वारा नहीं किया गया इस आधार पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी का नवीनीकरण आवेदन अस्वीकृत कर दिया गया।

सहानुभूति बटोरने का असफल प्रयास -

मदर टेरेसा का एनजीओ मिशनरीज ऑफ चैरिटी विदेशी चंदे के दुरूपयोग एवं अन्य आरोपों पर जबाब नहीं देना चाहता है बल्कि अनर्गल आरोपों के माध्यम से केंद्र सरकार पर क्रूरतापूर्ण कारवाई का दुष्प्रचार कर सहानुभूति कार्ड खेलना चाहता है। भारत सरकार ने नए एफसीआरए कानून के तहत अब तक 22 हजार संदिग्ध एनजीओ के लाइसेंस रद्द किए है। जिन मापदंडों से अन्य एनजीओ पर कारवाई हुई उसी आधार पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी का नवीनीकरण आवेदन अस्वीकृत किया गया। लेकिन संस्था ने अपने वतव्य में केंद्र सरकार पर क्रूरता का मिथ्या आरोप लगाते हुए गरीबों के नाम पर सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की लेकिन आज सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण आने के बाद संगठन ने एफसीआरए आवेदन नवीनीकरण न होने का उल्लेख किया है। यहां हम मिशनरीज ऑफ चैरिटी के दोनों वतव्यों एवं सरकार के बयान को प्रकाशित कर रहे है जिनके अवलोकन से साफ हो जाता है कि मदर टेरेसा का एनजीओ कैसे कानून का पालन करने के स्थान पर भ्रम फैलाकर सहानुभूति अर्जित करना चाहता है।

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