कहे- 'गंगा की बेटी' मोदी है तो मुमकिन है
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लखनऊ/विशेष प्रतिनिधि। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 'गंगा की बेटी' अवतरित हुई है। आज यह बेटी प्रयागराज से जल मार्ग के जरिए वाराणसी की यात्रा पर है। चुनाव के समय पर्यटन का अपना एक महत्व है और 'गंगा की बेटी' का यह अधिकार है कि वह अपने नए नवेले रिश्ते को बताकर उत्तरप्रदेश की जनता से वोट मांगे। पर, क्या गंगा की बेटी यह जानती है कि जिसे वह अपनी मां बता रही है उसकी दशा आज से कुछ समय पहले तक कैसी थी? स्टीमर बोट तो छोडि़ए, क्या सरलता से नाव चला पाना भी संभव था? गंगा जो लगभग मैली और एक पतली सी धार मात्र रह गई थी, आज इतनी अवरिल कैसे है? क्या 'गंगा की बेटी' अपनी यात्रा के दौरान दो शब्द इस पर कहेंगी?
निश्चित रूप से नहीं! यह उनसे अपेक्षा करना भी बेमानी है। देश यह जानता है कि यह चुनावी वर्ष है। गुजरात चुनाव में देश को पता चला था कि श्री राहुल गांधी शिवभक्त हैं और उनका गोत्र दत्तात्रय है। लोकसभा चुनाव में देश ने यह जाना कि कांग्रेस परिवार में एक गंगा की बेटी भी है। प्रयागराज के किनारे खड़े रामदीन ने कहा, मोदी है तो सभै मुमकीन है। चादर चढ़ाने वाले आज लेटे हनुमान जी के दर्शन कर रहे हैं। नि:संदेह यह एक बड़ा बदलाव है। तुष्टिकरण का खेल फिर जारी है, बस केन्द्र बदल गया है।
प्रयागराज से वाराणसी के बीच की करीब 149 किलोमीटर की दूरी 'गंगा की बेटी' तीन दिन में तय करने वाली है। किनारे-किनारे लगने वाले गांवों के जरिए 'गंगा की बेटी' का पूरा ध्यान पूर्वी उत्तरप्रदेश की लोकसभा सीटों पर है। प्रायोजित तरीके से चुनावी पर्यटन को एक गंभीर राजनीतिक प्रयास की शक्ल देने की चुनावी प्रबंधकों को जवाबदारी दी गई है। नतीजे क्या आएंगे इस पर स्वयं कांगे्रस के रणनीतिकार भी संशय की स्थिति में हैं। पर मोदी सरकार के विकास को जुमलेबाजी कहने वाले जब इस यात्रा को टेलीविजन स्क्रीन पर देख रहे हैं तो वह यह देखकर सुखद आश्चर्य में हैं कि स्टीमर दौड़ रही है। जबकि मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि पहले चरण में सिर्फ हाल्दिया से वाराणासी तक ही जल यात्रा शुरू करना तय था। पर कुंभ को देखते हुए केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सम्मिलित प्रयास से गंगा में गिरने वाली 40 सहायक नदियों को पहले साफ किया गया। आज भी यमुना में 13 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इसी तरह प्रयागराज में सात एवं वाराणसी में दो पर काम जारी है।
परिणाम सामने है। पर क्या गंगा की बेटी यह कह पाएंगी 'मोदी है तो मुमकिन है'। यह हम नहीं कह रहे हैं। गंगा किनारे के छोरे यह सवाल कर रहे हैं।
Naveen Savita
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