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वामदलों के सोशल मीडिया हैंडल पर नहीं लगा तिरंगा, सवाल- "क्या इन दलों के नेता खुद को भारतीय नहीं मानते?"

आजादी के अमृत महोत्सव के बहिष्कार का किया आह्वान

वामदलों के सोशल मीडिया हैंडल पर नहीं लगा तिरंगा, सवाल-  क्या इन दलों के नेता खुद को भारतीय नहीं मानते?
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नईदिल्ली। भारत की स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ पर केंद्र सरकार देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। इसके तहत हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। देश के सभी वर्ग और दल, समूह के लोग इस अभियान से जुड़कर स्वतंत्रता समारोह को मना रहे है। देश भर में लोगों के मन में जहां इस महोत्सव को लेकर बेहद उत्साह है। वहीँ वामपंथी दल इस समारोह के बहिष्कार का आह्वान कर रहे है। केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने 5 अगस्त को एक पत्र जारी किया था।


वहीँ अब तक माओवादी संगठन ने अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अब तक तिरंगा नहीं लगाया है। बता दें प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों मन की बात कार्यक्रम में सभी देशवासियों से अपनी सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल पर तिरंगा लगाने का आह्वान किया था। जिसके बाद देश भर में लोगों ने अपनी डीपी पर तिरंगे की तस्वीर लगा रखी है लेकिन वामदलों को तिरंगे को सम्मान देने में अब तक हिचकिचाहट महसूस हो रही है।इस दल के तीनों ट्विटर अकाउंट सीपीआई (एम), सीपीआई केरल और सीपीआई पुडुचेरी के ट्विटर प्रोफ़ाइल पर अभी भी पार्टी तिरंगे की जगह पार्टी का झंडा ही लगा है। ऐसे में सवाल उठता है की आखिर जब भी देश के प्रति अपने प्रेम को दिखाने की बात आती है तो ये संगठन सबसे पीछे क्यों रह जाता है।

क्या वामपंथी दल अपने झंडे को देश के राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर मानते है। क्या इससे जुड़े नेता एवं कार्यकर्ता स्वयं को भारत का नागरिक नहीं मानते ? इन्हें भारत की आजादी और स्वतंत्रता महोत्सव से इतनी नफरत क्यों है ? बता दे की ये पहला मौका नहीं है जब वामपंथी दलों ने देश विरोधी मानसिकता का प्रदर्शन किया हो। इससे पहले वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के समय भी देश के जवानों के लिए रक्त दान करने से इंकार कर दिया था। ऐसे में ये बात बेहद विचारणीय है की जिस देश में रहते है, राजनीति करते है, सत्ता का सुख भोगते है, उसी देश की स्वतंत्रता के सम्मान को अपनी विधारधारा से कम आंकना कहां तक सही है।



Updated : 13 Aug 2022 12:39 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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