जानिए परिवार के मुखिया की मौत के बाद कैसे करें संपत्ति का बंटवारा, ये...है कानूनी नियम

नईदिल्ली। संपत्ति का बंटवारा पुराने समय से ही परिवारों के लिए बड़ी समस्या रहा है। इसे लेकर कई बार कानूनी विवाद सामने आए है। जिसके कारण लंबे समय तक लोगों को कोर्ट के चक्कर भी कांटने पड़ते है। क्या आपको पता है की सरकार ने संपत्ति के बंटवारे के लिए कुछ कानूनी नियम तय कर रखे है लेकिन जानकारी के अभाव में लोग कानूनी पचड़ो में फंस जाते है। आइए आज हम आपको बताते है की किस प्रकार ऐसे विवादों से बचा जा सकता है।
इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है की घर के मुखिया स्वर्गवास से पूर्व ही वसीयत तैयार करें। जिसमें वह तय कर दें की किस संतान को संपत्ति का कौन सा हिस्सा दिया जाएगा। ऐसा करने पर परिवार के मुखिया की मौत के बाद विवाद की संभावना शून्य के बराबर रह जाती है। क्योंकि संपति पहले से ही किसके हिस्से में किया गया होता है।
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 -
भारत में विवाद की स्थिति बनने पर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत निपटारा किया जाता है। इस अधिनियम के तहत परिवार के मुखिया की मृत्यु होने की स्थिति में उनके उत्तराधिकारी को हो संपत्ति का हकदार माना जाता है। इस स्थिति में लोग आपसी सहमति और जानकारों की मदद से जमीन को उलझाने लेना पसंद करते हैं। इसके अलावा सभी हकदारों को संपत्ति के बंटवारे से पहले उससे जुड़े विवाद और जमीन पर कोई कर्ज आदि की जानकारी ले लेना चाहिए। सभी देनदारियों को मिलकर चुकाना चाहिए ताकि किसी एक पर बोझ ना पड़े।
