Home > Lead Story > डोभाल ऑपरेशन : 22 उग्रवादियों को म्यांमार ने भारत को सौंपा

डोभाल ऑपरेशन : 22 उग्रवादियों को म्यांमार ने भारत को सौंपा

दिल्ली। पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी संगठनों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रणनीति रंग लाती दिखाई दे रही है। हाल में ही म्यांमार ने इस क्षेत्र में सक्रिय 22 उग्रवादियों को भारत को सौंपा है। इन उग्रवादियों को म्यांमार की सेना ने मुठभेड़ के दौरान पकड़ा था। बता दें कि भारत में वारदात को अंजाम देने के बाद ये खूंखार उग्रवादी सीमा पार कर म्यांमार में घुस जाते थे।

अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, इन 22 उग्रवादियों को विशेष विमान से भारत लाया गया है। इन उग्रवादियों को मणिपुर और असम की पुलिस को सौंपा जाएगा। जहां इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना से पता चलता है कि भारत और म्यांमार के बीच संबंधों में प्रगाढ़ता आई है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल द्वारा संचालित इस ऑपरेशन को लेकर एक वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकार ने कहा कि यह पहली बार है कि म्यांमार सरकार ने पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों के नेताओं को सौंपने के भारत के अनुरोध पर काम किया है। इसे दोनों देशों के बीच बढ़ती हुई खुफिया और रक्षा सहयोग के परिणामस्वरूप ये संभव हो रहा है।

इन 22 विद्रोहियों में से 12 मणिपुर में चार विद्रोही समूहों से जुड़े हुए हैं: ये लोग UNLF, PREPAK (Pro), KYKL और PLA से हैं। बाकी 10 एनडीएफबी (एस) और केएलओ जैसे असम समूहों से जुड़े हैं। म्यांमार के साथ भारत की 1,600 किलोमीटर की सीमा विद्रोही समूहों के शिविरों का अड्डा बनी हुई है। लेकिन म्यांमार की सेना द्वारा ऑपरेशन करने पर सहमति बनने के बाद पिछले कुछ वर्षों से विद्रोही समूहों पर दबाव बन रहा है। पिछले साल, म्यांमार की सेना ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई पिन-पॉइंटेड इंटेलिजेंस के आधार पर फरवरी और मार्च 2019 के माध्यम से निरंतर अभियान चलाया।

म्यांमार की सेना ने पहले चरण में अरुणाचल प्रदेश में विजयनगर के मुख्य भाग में देश के उत्तर में तागा में बहु-समूह के आतंकी शिविरों पर हमला किया, और दूसरे में अरकान, नीलगिरि और हकियत शिविरों को नष्ट कर दिया। इन अभियानों में 22 विद्रोहियों को म्यांमार सेना ने सागिंग क्षेत्र में पकड़ा था। एक राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि उग्रवादियों को सौंपने का म्यांमार का फैसला उन संगठनों के लिए एक बड़ा संदेश है, जिनसे निपटने के लिए नई दिल्ली के साथ नईपीडॉ का तालमेल है। भारतीय अधिकारियों को उम्मीद है कि म्यांमार की कार्रवाई उन समूहों के लिए एक बाधा होगी, जिन्होंने सीमा पार घने जंगलों की कल्पना की थी, जिससे वे कार्रवाई से बच सकते थे।

Updated : 15 May 2020 2:10 PM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top