Diwali Celebration in Nepal: दीपावली पर पूजे जाते हैं कौवे, कुत्ते व गाय, 30 अक्टूबर से 3 नवंबर तक पांच दिनों तक मनाया जाएगा दीपावली तिहार...

दीपावली पर पूजे जाते हैं कौवे, कुत्ते व गाय, 30 अक्टूबर से 3 नवंबर तक पांच दिनों तक मनाया जाएगा दीपावली तिहार...

विकास सिंह, सिद्धार्थनगर : पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में दीपावली की पुरानी परंपरा अब भी बरकरार है। दीपावली त्योहार का जश्न मनाने के लिए नेपाली भारत के विभिन्न शहरों से लौटने लगे हैं। यहां पर्व की शुरुआत काग पूजा से होती है और समापन भाई टीका से। पांच दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के उल्लास में पूरा नेपाल डूब जाता है। दीपावली प्रकाश का पर्व माना जाता है, लेकिन नेपाल में रहने वाले लोग दीपावली को महापर्व के रूप में मनाते हैं।

पड़ोसी नेपाल में हिंदू धर्मावलंबी दीपावली पर्व को 'तिहार' के रूप में बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। दीपावली से पूर्व ही घरों की सफाई करने के साथ ही दीपावली को दीप और लाइटों से घरों को जगमग सजाते है। दीपावली पर मां लक्ष्मी जी की पूजा के साथ ही यम पंचक के रूप में काग, कुत्ते व गाय की पूजा भी अलग अलग दिनों में की जाती है।

भारत के साथ रोटी-बेटी के सम्बन्ध वाले व हिन्दू राष्ट्र रहे नेपाल में दीपावली (तिहार) पर्व पांच दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान काग तिहार, कुकुर तिहार, लक्ष्मी पूजा (गाय पूजा), गोवर्धन पूजा तथा भाई पूजा (टीका) पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से प्रारम्भ होकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक मनाया जाता है। इस वर्ष यह 30 अक्टूबर से शुरु होकर 3 नवंबर तक चलेगा।

काग तिहार


कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात दीपावली (तिहार) का पहला दिन काग तिहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कौओं की विधिवत पूजा की जाती है, उन्हें खाने के सामान पेश किये जाते हैं। कौओं को यमराज के दूत के रूप में माना जाता है। लोग छतों पर मिठाई या व्यंजन फैलाते हैं और जमीन पर चावल भी छिड़कते हैं। वे कौआ को इस विश्वास के साथ खिलाते हैं कि वे उनके परिवार में किसी भी दुर्भाग्य को रोकेंगे और उन्हें बुराई से बचाएंगे। इस साल काग तिहार 30 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा।

काक आह्वयते काकान् याचको न तु याचकान्।

काकयाचकयोर्मध्ये वरं काको न याचकः॥

अर्थात : किसी भोज्य वस्तु को पाकर एक कौवा कांव-कांव का शोर मचाकर अन्य कौवों को आमंत्रित करता है, परंतु एक भिखारी अन्य भिखारियों को नहीं बुलाता है। अतएव कौवों और भिखारियों में तुलना करने पर कौवे ही श्रेष्ठ हैं।

(कौवों में आपस में सहयोग करने और मिल बांटकर खाने की भावना विद्यमान रहती है)

कुकुर तिहार


यमपंचक के दूसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन कुकुर तिहार के रूप मनाया जाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार मान्यता है कि कुत्ता यम का दूत तथा मृतकों का भगवान और न्यायाधीश है। इसको स्वर्ग द्वार का संरक्षक माना जाता है। कुकुर तिहार के दिन कुत्तों को उनका पसंदीदा भोजन परोसा जाता है। उनके प्रेम, भक्ति और लोगों की रक्षा करने की इच्छा के लिए उनकी पूजा की जाती है। इस साल कुकुर तिहार 31 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा।

लक्ष्मी पूजा (गाय पूजा)


तीसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण अमावस्या को गाय की पूजा की जाती है, जिसे देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। इसी दिन लक्ष्मी पूजा (दिवाली) होती है, जिसमें माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है तथा उनसे धन-धान्य, समृद्धि व खुशहाली की कामना की जाती है। इस दौरान कुँवारी लड़कियां घर-घर जाकर भाइलो व दिउसो खेलती हैं। इस वर्ष लक्ष्मी पूजा 1 नवंबर को मनाया जाएगा।

दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः।

दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥

अर्थात : दीप-ज्योति ही परम ब्रह्म है, दीप-ज्योति ही जनार्दन है। दिव्य दीप मेरे पापों का नाश करे। संध्या के दिव्य दीप को नमस्कार।

गोवर्धन पूजा


तिहार के चौथे दिन अर्थात कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को शक्ति के देवता बैल को पूजा जाता है। इस दिन बैलों को विधि विधान से पूजते हैं। गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती हैं। इसके लिए वे गोबर से एक प्रकार का पहाड़ बनाते हैं। यह इंद्र के ऊपर भगवान कृष्ण की जीत का प्रतीक है। इस दिन अन्नकूट नामक भोजन के साथ कृष्ण को प्रसन्न करने की प्रथा है। वहीं आत्मा को शुद्ध करने के उद्देश्य से स्वयं की पूजा भी करते हैं। गोवर्धन पूजा इस वर्ष 2 नवंबर को मनाया जाएगा।

भाई टीका


तिहार के पांचवें यानी आखिरी दिन बहनें अपने भाईयों के सम्मान में मनाती हैं। नेपाल में भाई टीका का बड़ा महत्व है। इस दिन बहनों द्वारा भाइयों को बुराई से बचाने तथा लंबी आयु के लिए विभिन्न समारोह और अनुष्ठान किए जाते हैं। बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाती हैं। उनके साथ उपहारों का आदान-प्रदान भी करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यम और यमी को भी याद किया जाता है। भाई टीका इस वर्ष 3 नवंबर को मनाया जाएगा

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