मुख्यमंत्री ने लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 का किया शुभारंभ,. कहा- हर जिले में एक सड़क बेटियों के नाम पर होगी

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना 2 का आज शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश के भी जिलों में एक रोड का नाम "लाड़ली लक्ष्मी पथ" रखने का ऐलान किया। उन्होंने कहा की आज मेरे जीवन का महत्वपूर्ण दिन है। मेरी बेटियां बड़ी होकर मध्यप्रदेश का भविष्य बनाने वालीं हैं। बेटियों से ही जिंदगी है इसलिए हमने तय किया 52 जिलों में उनके नाम पर 52 पथ होंगे। देश व दुनिया में शायद पहली बार हो रहा है कि लाड़ली लक्ष्मियों के लिए वाटिका बनाई गई है।
उन्होंने कहा की मेरी लाडली बेटियां,अपना भविष्य बनाने के साथ प्रदेश व देश का भाग्य भी गढ़ने में अपना योगदान देंगी। मैं अपनी लाडलियों को आशीर्वाद और शुभकामनाएं देता हूं।आज आप मेरी खुशी का अंदाजा लगा नहीं सकते। सचमुच में आज मैं गदगद हूं, प्रसन्न हूं और मेरा रोम-रोम पुलकित है।आज वह लाड़ली बेटियां सामने बैठी हुई हैं जो कॉलेज की पढ़ाई शुरू कर रही हैं। यह वह बेटियां हैं जिनमें से कई को मैंने गोद में खिलाया है। एक ही कोख में बेटा भी आता है बेटी भी आती है। एक ही भगवान ने हमें बनाया है। भगवान ने तो भेदभाव नहीं किया।हमारी भारतीय संस्कृति ऐसी है कि जिसने हमेशा मां बहन और बेटी को सम्मान दिया है। भगवान वहीं रहेंगे जहां मां, बहन, बेटी को इज्जत और सम्मान की नजर से देखा जाता है।बेटी करुणा है, बेटी दया है, बेटी ममता है, बेटी प्रेम है। बेटी स्नेह और आत्मीयता है। लेकिन बेटियों को बहुत सहना पड़ा है। कई जगह कोख को क़त्लखाना बना दिया गया।यह देखकर मन रोता था, आत्मा रोती थी। लेकिन मन में भाव जरूर आता था कि कुछ ना कुछ तो करना चाहिए।
भोपाल में होगी पहली लाड़ली लक्ष्मी सड़क -
मुख्यमंत्री ने आगे कहा- आज हमने भारत माता चौराहे से लेकर पॉलिटेक्निक चौराहे तक, जिसमें यह स्मार्ट पार्क भी आता है, जहां मैं रोज पेड़ लगाता हूं। यह स्मार्ट रोड था मैंने कहा 'यह स्मार्ट रोड नहीं होगा यह लाड़ली लक्ष्मी रोड कहा जाएगा।' सीएम ने कहा- आज मेरी खुशी का अंदाजा नहीं लगा सकते, मैं गदगद हूं। आज मेरी वो लाडली लक्ष्मी बेटियां बैठी हैं, जिनमें से कई को मैंने गोद मे खिलाया था, आज वे कॉलेज में पहुंच गई हैं। कई बेटियों को में गोद में लेता था, उछलता था, कई प्रमाण-पत्र पकड़ लेती थीं। एक बेटी ने मेरा कान पकड़ लिया था। यहां 51 हजार गांवों में लाडली लक्ष्मी बैठी हैं।
