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देश में 70 साल बाद दिखेंगे चीते, अफ्रीका से 16 घंटे में पहुंचेंगे ग्वालियर

देश में 70 साल बाद दिखेंगे चीते, अफ्रीका से 16 घंटे में पहुंचेंगे ग्वालियर
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वेब डेस्क। भारत में 70 साल बाद एक बार फिर चीते नजर आएंगे। मप्र में इनके स्वागत की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। देश में आखिरी बार वर्ष 1948 में चीतों को देखा गया था। साल 1950 में इन्हें आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया गया था। अब एक बार फिर अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीतों को श्योपुर के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में लाया जा रहा है। बताया जा रहा है की 15 अगस्त तक ये चीते श्योपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय पार्क पहुंच जाएंगे।

नामीबिया से भारत तक का सफर -

नामीबिया में भारत आ रहे चीतों में 4 नर व 4 मादा है। ये सभी दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में प्रो. एड्रियन ट्रोडिफ की देखरेख में भारत लाए जाएंगे। जानकारी के अनुसार 12 अगस्त को इन चीतों हवाई मार्ग से नामीबिया से जोहान्सबर्ग लाया जाएगा। इसके बाद इसी दिन इन्हें जोहान्सबर्ग से इन्हें दिल्ली लाया जा सकता है, जिसमें करीब 14 घंटे लगेंगे। इसके बाद दिल्ली से ग्वालियर तक चार्टर प्लेन से आएंगे।इन्हें सड़क मार्ग में ग्वालियर से श्योपुर कूनो नेशनल पार्क ले जाय जाएगा। शुरूआती 30 दिनों तक इन्हें क्वारंटाइन में रखा जाएगा।इसके बाद बाड़ों में छोड़ा जाएगा।

चीतों की खासियत -

चीतों की रफ्तार -

  • चीते अपनी रफ्तार के लिए जाने जाते है,यह 3 सेकंड में फूल स्पीड हासिल कर लेते है और जब ये पूरी ताकत से दौड़ते है 7 मीटर लंबी छलांग लगाते है। जानकारों के अनुसार ये 95 किमी पार्टी घंटे की रफ़्तार से दौड़ लगाते है। ये महज तेज रफ्तार के बल पर महज 20 सेकंड में किसी को भी अपना शिकार बना लेते है।
  • चीते बिल्ली के परिवार के सबसे बड़े सदस्य होते है लेकिन खास बात ये है की ये शेर और बाघ की तरह दहाड़ नहीं सकते बल्कि बिल्ली की तरह सिर्फ गुर्राते है।
  • चीतों की ख़ास बात ये है यह रात में तेंदुओं की तरह शिकार नहीं कर सकते है। रात में इनकी स्थिति एक इंसान की तरह होती है ,इसलिए यह दिन में ही शिकार करते है।
  • मादा चीते की जिंदगी नर की अपेक्षा चुनौती पूर्ण रहती है। उसे नौ बच्चों का पालन-पोषण करना पड़ता है। जिसके लिए रोज शिकार करना जरुरी होता है साथ ही खतरनाक जानवरों से रक्षा करना भी चुनौती है।
  • एक शोध के अनुसार चीते के 5 फीसदी बच्चे ही व्यस्क हो पाते है। जोकि इनकी आबादी कम होने का बड़ा कारण है।

चीते और तेंदुए में अंतर -

  • अक्सर लोग तेंदुओं को ही चीता समझ लेते है लेकिन दोनों में काफी अंतर होते है। इनके शरीर पर मौजूद काले धब्बे होने से अक्सर लोग इनमें कन्फ्यूज हो जाते है।
  • चीते के शरीर पर बने धब्बे गोल बिंदी जैसे होते हैं।जबकि तेंदुए के शरीर पर बने धब्बे फूल की पंखुड़ियों जैसे होते हैं।
  • चीते के चेहरे पर बहते आंसू जैसी काले रंग की लंबी लाइन होती है।जबकि तेंदुए के चेहरे पर ऐसा कोई निशान नहीं होता है।
  • चीते घास के खुले मैदानों में रहना पसंद करते हैं।तेंदुए घनी झाड़ियों और पेड़ों वाले क्षेत्रों को पसंद करते हैं।
  • चीते पेड़ों पर कम चढ़ते जबकि तेंदुए पेड़ों पर ज्यादा समय बिताते हैं।



Updated : 17 Sep 2022 8:58 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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