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नामीबिया से खाली पेट भारत आएंगे चीते, कल कूनो पार्क में छोड़ेंगे प्रधानमंत्री मोदी

नामीबिया से खाली पेट भारत आएंगे चीते, कल कूनो पार्क में छोड़ेंगे प्रधानमंत्री मोदी
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ग्वालियर। भारत में 70 साल बाद चीतों की आमद की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। चीतों को लाने के लिए एक विशेष जंबो जेट बी 747 नामीबिया की राजधानी विंडहोक पहुंच चुका है। इस विमान को बाहर से ही नहीं, अंदर से भी चीतों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, ताकि उसमें पिंजरों को आसानी से रखा जा सके। नामीबिया से यह विमान 16 घंटे की उड़ान भरकर 17 सितंबर को भारत आएगा। इसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीतों को कूनो पार्क में छोड़ेंगे। पिंजरों के बीच इतनी जगह होगी कि उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक आसानी से चीतों पर नजर रख सकें। चीतों को खाली पेट भारत लाया जाएगा।

नामीबिया से चीतों को भारत लाने वाले विशेष विमान की गुरुवार को तस्वीर सामने आई, जिसमें टाइगर की खूबसूरत पेंटिंग की गई है। विमान कंपनी ने इस फ्लाइट को विशेष फ्लैग नंबर 118 दिया है। कंपनी दुनिया में पहली बार चीतों को शिफ्ट करने के लिए फ्लाइट का संचालन कर रही है, ऐसे में यह उनके लिए एक ऐतिहासिक पल है। इस विमान में 8 चीतों को भारत लाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन्हें 17 सितंबर को कूनो अभयारण्य में छोंड़ेंगे। विमान चीतों को लेने के लिए पहुंच चुका है, नामीबिया में भारतीय दूतावास ने इस विमान की तस्वीर ट्वीट की है। भारतीय दूतावास ने अपने ट्वीट में लिखा है कि बाध की धरती पर बहादुर की भूमि (नामीबिया) से सद्भावना राजदूतों को ले जाने के लिए एक विशेष विमान पहुंचा।

विशेष विमान बी 747 जंबो जेट 16 सितंबर को सुबह नामीबिया से 8 चीतों को लेकर भारत के लिए उड़ान भरेगा। विमान कंपनी के मुताबिक रात के समय में उड़ान भरने से चीतों को पहुंचाने में आसानी होगी। यह उड़ान शनिवार 17 सितंबर की सुबह जयपुर या ग्वालियर एयरपोर्ट पर लैंड करेगी और फिर चीतों को हेलिकाप्टर के द्वारा कूनो अभयारण्य ले जाया जाएगा।

कूनो में स्पेशल हेलिपैड बनाया गया -

चीतों के लिए कूनो में स्पेशल हेलिपेड बनाया गया है। वहां से उन्हें एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर से सीधे कूनो नेशनल पार्क के बीचोबीच उतारा जाएगा। पार्क में चीतों के हेलिकॉप्टर के लिए पहले से हेलिपैड तैयार हैं। प्रधानमंत्री मोदी के आने से ठीक चार घंटे पहले यानी सुबह करीब आठ बजे चीते कूनो पहुंच जाएंगे।

मोदी के मंच के नीचे पिंजरे में होंगे चीते

कूनो नेशनल पार्क के टिकटौली गेट से 18 किलोमीटर भीतर पांच हेलिपैड बने हैं। इनमें से तीन प्रधानमंत्री और उनकी सुरक्षा के लिए आए हेलिकॉप्टर के लिए रिजर्व हैं। यहां से 500 मीटर के दायरे में 10 फीट ऊंचा प्लेटफॉर्म नुमा मंच तैयार किया गया है। मंच की ऊंचाई 10 से 12 फीट होगी। मंच पर पीएम मोदी के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय वन मंत्री और मध्य प्रदेश के वन मंत्री होंगे। इसी मंच के ठीक नीचे छह फीट के पिंजरे में चीते होंगे।

मादा चीता अलग-अलग बाड़ों में रखी जाएंगी

नर चीते दो या दो से अधिक के ग्रुप में रहते हैं। नर चीतों को ग्रुप में एक साथ रखा जाएगा। हर मादा चीता अलग-अलग बाड़ों में रखी जाएंगी। बड़े बाड़ों में माहौल सही होने पर पहले नर चीतों को और उसके बाद मादा चीतों को खुले में छोड़ा जाएगा।

कूनो में चीता प्रोजेक्ट के लिए आईओसी 50.22 करोड़ रुपये देगा-

इंडियन आयल कार्पोरेशन कंपनी सिर्फ व्यापार तक ही सीमित नहीं है। कंपनी सामाजिक सरोकार के कामों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। इसके तहत पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की दिशा में भी काम कर रही है। कंपनी सीएसआर फंड के तहत कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट के लिए 50.22 करोड़ रुपये देगी। इसे पांच साल तक अलग-अलग किश्तों में जारी किया जाएगा।

यह जानकारी इंडियन आयल कार्पोरेशन के एक्जक्यूटिव डायरेक्टर(कार्पोरेट कम्युनिकेशन) उत्तीय भट्टाचार्य ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में दी। उनके साथ कंपनी के राज्य प्रभारी तेल उद्योग दीपक कुमार वासु भी उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि कंपनी व्यापार में अग्रणी है, इसके साथ ही सामाजिक सरोकार के कार्य भी कर रही है। कैंसर उपचार से लेकर ट्यूवरक्लोसिस के उपचार के लिए उप्र में काम कर रही है। भुवनेश्वर में स्किल डेवलपमेंट सेंटर चलाया जा रहा है, जिसके तहत युवाओं को स्किल ट्रेनिंग से लेकर रोजगार तक दिलाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि यह पैसा सीएसआर फंड के तहत नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथोरिटी को दी जाएगी। 10 करोड़ रुपये दिए भी जा चुके हैं। अब पांच साल तक किस्तों में यह राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया यह पैसा चीतों के रख रखाव से लेकर उनकी सुरक्षा, चीतों के लिए चिकित्सा सुविधा और चीतों के रख रखाव के लिए स्टाफ को ट्रेंड करने पर खर्च होगा। उन्होंने ग्वालियर में गौशाला में गोबर से सीबीजी बनाने के प्लांट की भी जानकारी दी। इसमें करीब दो साल का समय लगेगा।

Updated : 22 Sep 2022 8:52 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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