220 करोड़ खर्च, 5088 गांवों में ब्रॉडबैंड ही नहीं: प्रदेश के 53 हजार 738 गांवों में पहुंचनी है बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सेवा…

विशेष संवाददाता, भोपाल। मध्यप्रदेश के 53 हजार 738 गांवों में बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सेवा पहुंंचाई जानी है। लेकिन प्रदेश के 5988 गांव अभी भी ऐसे हैं, जहां 220 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी ब्रॉडबैंड सेवा नहीं मिल सकी है। ब्रॉडबैंड सेवा को लेकर अक्टूबर 2024 में खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा भी सवाल पूछ चुके हैं।
इससे पहले लोकसभा के वर्ष 2020 के सत्र में पेश रिपोर्ट में भी यह माना गया था कि अभी सभी गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचाने में समय लग रहा है। सांसद श्री शर्मा को दिए जवाब में बीएसएनएल ने बताया था कि मध्यप्रदेश में 17 हजार 850 पंचायतों को ब्रॉडबैंड सेवा से जोड़ा जा चुका है।
इसमें अकेले छतरपुर जिले की 558 में 225 पंचायतों में ब्रॉडबैंड पहुंचाने का दावा किया गया था। जिन गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंंची भी है, वहां कनेक्टिविटी की समस्या लगातार बनी हुई है। स्थिति यह है कि सरकारी इंटरनेट की सुविधा होने के बाद भी पंचायतों में निजी कंपनियों के मोबाइल इंटरनेट से ऑनलाइन मीटिंग और कार्य हो रहे हैं।
यह है स्थिति
-पंचायतों में ई-दक्ष केंद्र बने हैं, लेकिन इनका उपयोग दूसरे कार्यों में हो रहा है।
-सुदूर क्षेत्रों की पंचायतों में बीएसएनएल का नेटवर्क बहुत खराब है।
-सरकारी योजनाओं की मॉनीटरिंग पंचायत सचिव, रोजगार सहायक आदि को अपने मोबाइल के हॉटस्पॉट से लैपटॉप कनेक्ट करके करनी पड़ती है।
यह है योजना
भारत सरकार ने वर्ष 2016 में भारत नेट परियोजना के अंतर्गत 6.4 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़कर बेहतर कनेक्टिविटी की तैयारी की थी। इसके लिए मध्यप्रदेश में अभी तक 220 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बीएसएनएल के अधिकारियों का दावा है कि अधिकतर गांवों में ऑप्टिकल फाइबर लाइन बिछाई जा चुकी है।
