Home > स्वदेश विशेष > भारत के व्यापारिक हितों के लिए अवरोध

भारत के व्यापारिक हितों के लिए अवरोध

तेजेन्द्र शर्मा

भारत के व्यापारिक हितों के लिए अवरोध
X

वेबडेस्क। प्रधान मंत्री बॉरिस जॉनसन के त्यागपत्र देने से भारत और ब्रिटेन के रिश्तों पर कैसा असर पड़ सकता है। और यह सवाल विदेश मंत्रालय से पूछा भी गया। वैसे तो यह सच है कि बॉरिस जॉनसन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच गहरी समझदारी वाले रिश्ते हैं। दोनों ही देश एक दूसरे के साथ इस समय बेहतरीन व्यापारिक और सामरिक महत्व के मुद्दों पर काम कर रहे हैं। मुक्त व्यापार समझौता दीवाली से पहले-पहले साइन होने की उमीद थी। भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि हमारे रिश्ते केवल प्रधानमंत्री स्तर पर सीमित नहीं हैं। दोनों सरकारों के बीच एक गहरी समझ स्थापित हो चुकी है। बॉरिस जॉनसन पद त्यागने से पहले भारत को लेकर एक अच्छा माहौल तैयार करके जाएंगे।इसके।बाबजूद जॉनसन का यूं अचानक जाना भारत के समग्र हितों के लिहाज से नुकसानदेह तो कहा ही जायेगा।इसके निहितार्थ विविध आयामों को भी रेखांकित करते है जिनकी स्पष्ट चर्चा इन दिनों भारत मे हो रही है।

श्रीलंका में चीनी खेला

इस शनिवार को जो तस्वीरें पड़ोसी देश श्रीलंका से आई है वह भी भारत के लिए बेहद चिंतित करने वाली है। सर्वविदित है कि भारत के लिए श्रीलंका सामरिक औऱ सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण देश है। हमारी एकता और अखंडता के लिए भी वहां शांति आवश्यक है,लेकिन आर्थिक कंगाली की लंकाई पटकथा लिखने वाला कोई औऱ नही चीन ही है।

नेपाल,मालदीव और पाकिस्तान में चीनी जाल -

तीनों देशों में चीनी हस्तक्षेप इस सीमा तक स्थापित हो गया है कि इन देशों की स्वतंत्र राजनयिक नीतियां ही अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं। नेपाल का हिन्दू राष्ट्र से सेक्युलर औऱ कयुनिस्ट रूपांतरण से लेकर मालदीव में भारत विरोधी आंदोलन औऱ पाकिस्तान की घोषित शत्रुतामूलक नीतियां सब जगह चीनी विस्तारवाद की जड़ें गहरी हो चुकी हैं।

Updated : 18 July 2022 6:03 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

स्वदेश डेस्क

वेब डेस्क


Next Story
Top