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बंगाल में होगा त्रिकोणीय मुकाबला, जानिए 5 राज्यों के चुनावी समीकरण

बंगाल में होगा त्रिकोणीय मुकाबला, जानिए 5 राज्यों के चुनावी समीकरण
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नईदिल्ली। देश के 5 राज्यों प. बंगाल, असम , तमिलनाडु, केरल एवं पुडुचेरी के लिए होने वाले विधानसभा चुनावों की तारिखों का ऐलान हो गया है। चुनावी कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही चुनावी बिगुल बज गया है। इसके साथ ही पांचों राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इन 5 राज्यों के लिए 27 मार्च से 29 अप्रैल के बीच मतदान होगा। 2 मई को चुनाव परिणाम घोषित होंगे।

ये चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब देश एक ओर कोरोना महामारी के बाद आर्थिक कठिनाइयों के बीच उभर रही अर्थव्यवस्था के दौर से गुजर रहा है इन राज्यों के चुनावी समीकरण की बात करें तो वर्तमान में पांच में से एक राज्य असम में भाजपा की सरकार है। वहीँ कांग्रेस की पुडुचेरी में सरकार थी। जो हाल ही में अल्पमत में आने से गिर गई। अब यहां राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु में ऑल इंडिया अन्ना द्रुविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक), केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार है।

टीएमसी को सत्ता से बेदखल करने की चुनौती -

इन चुनावों में भाजपा के समक्ष असम में सत्ता बचाने के साथ ही पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने की चुनौती है। हालांकि, सूबे की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी पेशबंदी करने के लिए कमर कस ली है।पश्चिम बंगाल में त्रिकोणीय संघर्ष के हालात बन रहे हैं। ऊपरी तौर पर मुख्य संघर्ष तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच नजर आ रहा है लेकिन वामदलों और कांग्रेस का गठबंधन नवगठित मुस्लिम राजनीतिक दल इंडियन सेक्यूलर फ्रंट के साथ मिलकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकता है।

2019 में भाजपा को मिली जीत -

पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यों वाली विधानसभा में वर्ष 2016 के चुनाव नतीजों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के 211 सदस्य, भाजपा के 3, कांग्रेस के 44, माकपा के 26 और अन्य के 10 सदस्य थे । वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सूबे की 42 सीटों में से 18 पर परचम लहराने का काम किया। तबसे उसके हौंसले और बुलंद हैं। नतीजतन, लोकसभा चुनाव के बाद से ही सत्तारूढ़ तृणमूल के नेताओं और विधायकों ने ममता का साथ छोड़ भाजपा का रुख किया।

असम में सीएए, एनआरसी बड़े मुद्दे -

असम में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) चुनाव प्रचार के दौरान बड़े मुद्दे होंगे। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी रैलियों में सीएए का पुरजोर विरोध किया है। वर्ष 2016 के चुनाव नतीजों में 126 विधानसभा वाले इस राज्य में भाजपा व सहयोगी दलों की संख्या 74 रही । हाल ही में भाजपा केंद्रीय पदाधिकारियों की बैठक में पार्टी ने पूर्वोत्तर के इस राज्य में अपनी सत्ता बरकरार रखने का दावा किया। भाजपा उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि वे असम में जीत को लेकर आश्वस्त हैं।

तमिलनाडु में भाजपा-एआईडीएमके गठबंधन -

उधर, 234 सदस्यीय तमिलनाडु विधानसभा में अपना खाता खोलने के लिए भाजपा ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन किया है। जिसके बाद भाजपा का सत्ता में पहुंचना तय माना जा रहा है। तमिलनाडु के चुनावों में अभिनेता कमल हसन की पार्टी और हाल में सजा काट कर जेल से बाहर आई पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जे. जयललिता की करीबी शशिकला की भूमिका और चुनाव परिणामों पर उनके असर को लेकर दिलचस्पी रहेगी।

केरल में 1 सीट से आगे बढ़ने की चुनौती -

केरल में वर्तमान में वामदल शासित राज्य है। केरल में कोरोना महामारी अनियंत्रित होती जा रही है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों का चुनाव प्रचार और मतदान पर असर पड़ सकता है। केरल विधानसभा में भाजपा का एकमात्र सदस्य है। 140 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के 91 और विपक्षी यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के 43 सदस्य हैं।

पुडुचेरी में भाजपा सत्त्ता के करीब -

केंद्रशासित राज्य पुदुचेरी में भाजपा खुद को सत्ता के करीब देख रही है। कांग्रेस नेतृत्व की वी. नारायणसामी सरकार के अल्पमत में आने के बाद यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। कांग्रेस के कई विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। इस कारण कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई। पुदुचेरी में 33 सदस्यीय विधानसभा में तीन सदस्य मनोनीत किए जाते हैं । नारायणसामी सरकार के गिरने के बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीद है कि वह पुदुचेरी में सरकार बनाने में सफल होगी।

Updated : 12 Oct 2021 10:54 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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