Data Protection Bill आने से बढ़ जाएगी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही, जानिए डाटा चोरी होने पर क्या होगी कार्रवाई ?

Data Protection Bill आने से बढ़ जाएगी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही, जानिए डाटा चोरी होने पर क्या होगी कार्रवाई ?
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केंद्र सरकार इस मानसून सत्र में इस विधेयक को संसद में पेश करेगी

नईदिल्ली। केंद्र सरकार ने बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दी है। इस बिल को आगामी मानसून सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है। इस बिल के पारित होने के बाद आमजनों का डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सेव डाटा को कोई भी अनधिकृत रूप से उपयोग नहीं कर सकेगा। यदि कोई कंपनी या व्यक्ति गलत उपयोग करता है तो उस पर 250 से 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि जब भी हम किसी मोबाइल एप या किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को पहली बार यूज करते है तो वह हमसे कुछ एक्सेस और जानकारी मांगता है। जैसे की नाम के साथ फोन नंबर, एड्रेस आदि। यहीं जानकारियां आपकी व्यक्तिगत जानकारी होती है, जिसका उपयोग कई बार ये कंपनियां अपने लाभ के लिए करती है, कभी दूसरों को भी बेच देती हैं, कई बार हैकर्स इस डाटा को लीक कर लेते हैं। इसी डाटा लिक को रोकने के लिए सरकार ये कानून लेकर आ रही है।

आइए अब जानते है की आखिर डाटा प्रोटेक्शन बिल क्या है और इसकी क्या जरुरत है-

डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल -

डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल एक ऐसा विधेयक है, जिसकी मांग लंबे समय से देश भर में की जा रही थी।इसके जरिए आमजनों के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सेव डाटा के लीक होने एवं गलत उपयोग की संभावना कम हो जाएगी। वर्तमान में ऐसा कोई नियम नहीं है की जो डाटा हमसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स रजिस्ट्रेशन के वक्त मांगते है, उसका उपयोग वे कैसे करेंगे। कई बार डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पैसे कमाने के लिए अपने यूजर्स को डाटा अन्य कंपनियों को बेच देते है। इस कानून के बाद स्वहित के लिए कंपनियां यूजर्स का डाटा नहीं बेच पाएंगी।पिछले साल नवंबर में इसका ड्राफ्ट तैयार हो गया था। जिसके बाद इस साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि इस साल मानसून सत्र में इस प्रोटेक्शन बिल को पेश किया जाएगा.

बिल में क्या है प्रावधान -

  • डाटा प्रोटेक्शन बिल के कानून बनने के बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म्स द्वारा मांगे गए आपके डाटा को बचाकर रखने की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी।
  • यदि कभी कंपनी उस डाटा का प्रयोग करना चाहती है तो उसे पहले संबंधित व्यक्ति से अनुमति लेनी होगी।
  • कंपनी को डाटा प्रोटेक्शन के लिए एक बोर्ड बनाना होगा जो इस प्रक्रिया पर नजर रखेगी।
  • निजी डाटा मांगने वाली कंपनी को जानकारी देनी होगी की वह इसका क्या करेगी।
  • जब यूजर किसी प्लेफॉर्म को छोड़ेगा तो उस प्लेटफॉर्म को यूजर की जानकारी डिलीट करनी होंगी।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर सेव डाटा भारत में ही रहेगा, इसे देश के बाहर नहीं ले जाया सकेगा।
  • यदि आपके डाटा का उपयोग थर्ड पार्टी द्वारा किया जाता है तो ऐसे में संबंधित कंपनी जहां से लिक हुआ है, वह दोषी होगी।
  • यदि गलती से डाटा लीक हो जाता है तो निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से उसकी जानकारी सरकार या सुरक्षा बोर्डों को देनी होगी।

डाटा चोरी से नुकसान -

पर्सनल डाटा में हमारा मोबाईल नंबर, आधार कार्ड नंबर, वोटर आईडी, पैन कार्ड डिटेल्स, बैंकिंग आदि की जानकारियां शामिल होती है। इसमें से कुछ भी लीक हो जाएं तो हैकर्स इसका गलत उपयोग कर सकते है। वे हमारे बैंक अकाउंट और घर तक पहुंच सकते है। इसके अलावा हम साइबर फ्रॉड, बैंक से ऑनलाइन चोरी, कर सकते है।

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