चीन की सीमा पर गरजे रक्षामंत्री, कहा- भारत युद्ध के खिलाफ लेकिन किसी भी स्थिति के लिए तैयार

ईटानगर। तवांग में भारत और चीन सेना के पीच हुई झड़प के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह पहली बार अरुणाचल प्रदेश पहुंचे। उन्होंने राजनाथ सिंह ने चीन को कड़ा संदेश दिया। राजनाथ ने कहा कि भारत किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। इस दौरान उन्होंने सियोम नदी पर 100 मीटर लंबे स्टील अर्च पुल के साथ अन्य 27 परियोजनाओं का शुभारंभ किया। यह पुल सामरिक दृष्टि से सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्रों की बदलती प्राथमिकताओं और हितों के इस युग में किसी भी राष्ट्र के लिए स्वयं को सशक्त बनाए रखना आवश्यक है। भारत हमेशा युद्ध के खिलाफ रहा है। हमारे सशस्त्र बल किसी भी तरह की स्थिति का सामना करने के लिए हमेशा तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि बीआरओ हमारी सेना के साथ चल रहा है। मैं BRO और 'Bro' यानी भाई के इस्तेमाल पर कंफ्यूज होता था, लेकिन वे जो काम कर रहे हैं, उसे देखने के बाद वे वास्तव में हमारे सशस्त्र बलों और लोगों के भाई हैं।आज बीआरओ द्वारा देश के सीमावर्ती इलाकों में निर्मित 28 मूलढ़ांचा परियोजनाएं को राष्ट्र को समर्पित करते हुए मुझे बड़ी खुशी और गौरव का अनुभव हो रहा है। साथ ही BRO@2047 विजन दस्तावेज जारी करना भी मेरे लिए खुशी की बात है।
रक्षा मंत्री सिंह सोमवार को डिब्रूगढ़ के मोहनबाड़ी एयरफोर्स बेस पहुंचे। रक्षा मंत्री ने मोहनबाड़ी वायु सेना अड्डे पर ही रात बिताई। मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में 724.3 करोड़ रुपये की लागत वाली 28 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। जिसमें सियांग जिला में 100 मीटर लंबे शियूम पुल का उद्घाटन भी शामिल है। पुल के अलावा मंत्री ने अन्य परियोजनाओं का वर्चुअली तरीके से उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने निर्मित किया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने तवांग सेक्टर में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मंगलवार को पहली बार अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले के दौरे पर पहुंचे हैं।संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय सशस्त्र बलों की त्वरित आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए 724.3 करोड़ रुपये की लागत से 28 परियोजनाएं पूरी की गई हैं। एलएसी के पास पुल के निर्माण से चीन को संदेश देने की कोशिश की गयी है। सियोम नदी पर बना यह पुुल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दूर-दराज के क्षेत्रों में सैनिकों को तैनात करने में सैन्य रणनीति से काफी अहम है। इस पुल से स्थानीय लोगों को भी आवाजाही में मदद मिलेगी। इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खाडू, सांसद तापिर गाव और अन्य के कई नेता भी मौजूद थे।
