जम्मू कश्मीर: दरगाह में शिलापट्टी पर लगे राष्ट्रीय चिह्न को तोड़ा, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने दिया ये बयान

नईदिल्ली/वेब डेस्क। घाटी में एक लंबे अरसे बाद एक बार फिर कट्टरपंथ कि झलक तब दिखाई दी जब केंद्र सरकार के प्रसाद योजना के अंतर्गत धार्मिक स्थलों के नवीकरण के लिए श्रीनगर के हज़रत बल दरगाह के लिए आवंटित हुए चालीस करोड़ की बजट के तहत हज़रत बल दरगाह के गेस्ट हाउस में निर्माण स्थल स्थल के शिलापट्टी पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक एम्बलम वहाँ नज़र आया ।
बता दें एम्बलम भारत का संवैधानिक प्रतीक चिह्न है और इसके साथ किसी भी तरह की छेड़-छाड़ या अपमान पर कम से कम छह महीने की सजा है । लेकिन कट्टरपंथी भीड़ ने किसमें बताया जा रहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस की उमर सरकार के एक एमएलए भी शामिल थे ने जम कर तोड़ -फोड़ की और हंगामा मचाया । हद्द तो तब हो गई जब सूबे के मुख्यमंत्री ख़ुद उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने इस तोड़-फोड़ का समर्थन किया और कहा कि आस्था के स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न की कोई जरूरत नहीं है । उल्लेखनीय है कि हज़रत बल एक दरगाह है मस्जिद नहीं और ये शिला दरगाह के नवीनीकरण के तहत बन रहे गेस्ट हाउस पर लगाया गया था जिसके ऊपर केंद्र सरकार की योजना के उल्लेख के साथ एम्बलम चिह्न भी था ।
इस मुद्दे पर जम्मू -कश्मीर से बीजेपी राज्यसभा सांसद गुलाम अली खटाना ने स्वदेश से अपनी विशेष बात -चीत में अब्दुल्ला सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि जब घाटी बाढ़ से ग्रसित है और लोगों को मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है तो अब्दुल्ला सरकार और महबूबा मुफ्ती साजिश के तहत लोगों का ध्यान भटकाने के लिए धार्मिक संवेदनाओं से खेल रहे गईं और कश्मीर में फिर अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं । दरअसल उमर अब्दुल्ला , महबूबा मुफ्ती और राहुल गांधी घाटी के विकास से डरे हुए हैं । पर्यटन में उछाल से उनका हाजमा ख़राब है और एक बार फिर अशांति फैला कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे है ।
हमने जब पूछा कि 370 हटाने के बाद कश्मीर में शांति लगभग बगल हो गई थी और ऑपरेशन सिंदूर में कुछ हद तक अब्दुल्ला सरकार भी भारत सरकार के साथ नज़र आई तो भला वो क्यो घाटी में फिर अशांति चाहेंगे। गुलाम अली खटाना ने इस पर कहा कि वो उनका ढोंग था दरअसल नेशनल कॉन्फ्रेंस कांग्रेस की “बी” पार्टी है । जो मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के नाम ओर मुसलमानों को विकास से दूर रखना चाहती है । इनलोगों की एक ही मंशा है कि इनकी मौक़ापरस्त गंदी राजनीति के लिए कश्मीर के लोग हमेशा हाथों में पत्थर उठाये रखें। ये हमेशा जेड प्लस सिक्योरिटी में चले और कश्मीर की आम अवाम ग़रीबी में रहे । इनके बच्चे विदेशों में पढ़े और कश्मीर के बच्चों के हाथ में पत्थर हो । सांसद खटाना ने आगे कहा कि लेकिन अब कश्मीर के लोग इन्हें बहुत अच्छी तरह से समझ चुके हैं और इनके इन षड्यंत्रों में नहीं आने वाले । अब पत्थर चलाने वाले हाथों में कलम आ चुका है और वो स्कूल जा रहे है इसलिए इनकी ये सारी कोशिशें नाकामयाब रहने वाली हैं। ग़ुलाम अली खटाना ने केंद्र सरकार से माँग की है कि अशोक चिह्न का अपमान करने वाले सभी सभी कट्टरपंथियों पर सख्त करवाई हो।
श्रीनगर की हज़रतबल दरगाह में अशोक चिह्न तोड़े जाने पर बीजेपी नेता कविंद्र गुप्ता और जे एंड के वक़्फ़ बोर्ड के चेयरपर्सन दरख़्शां अंद्राबी ने भी कड़ी कार्रवाई की मांग की है। वहीं इस मुद्दे ओर काँग्रेस चुप्पी साधे हुए है और जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने कट्टरपंथियों के बचाव में उतार आए है और अशोक चिह्न का वाहन होना ग़लत बता रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि ट्टरपंथियों की भीड़ ने दरगाह की उद्घाटन पट्टिका में लगे अशोक चिह्न को पत्थर मार मार कर तोड़ डाला है। जिस पर एफ़आईआर भी दर्ज हो गई है। वहीं राज्य में नेशन कॉन्फ्रेंस की विपक्षी पार्टी पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी उमर अब्दुल्ला के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि ‘गुस्ताखी की जाएगी तो लाजमी है कि हमें गुस्सा आएगा ही। ऐसे में भावनाए उमड़ जाती हैं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जिन लोगों ने भावनाओं में बहकर तोड़फोड़ की और वे प्रतीक के खिलाफ नहीं हैं ऐसे में यह कहना सही नहीं है कि राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के अपमान के नाम पर इन लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जाना चाहिए और वे आतंकवादी हैं। जिम्मेदार लोगों, विशेष रूप से वक़्फ़ बोर्ड के खिलाफ धारा 295-ए के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि यह हमारे लिए कुफ्र यानी पाप है। लेकिन जम्मू कश्मीर के वक्फ बोर्ड के चेयरपर्सन ने इस घटना को एक कट्टरपंथी साजिश बताते हुए इसकी निंदा कि है और कहा है की ये राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न और राष्ट्र दोनों का अपमान है ऐसे में इस घटना में लिप्त दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी करवाई होनी चाहिए और सख्त से सजा मिलनी चाहिए।
