भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर सुनवाई करेगा अमेरिकी आयोग, जानिए क्या है मामला
यूएससीआईआरएफ ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली भेदभावपूर्ण नीतियां बनाई और लागू की हैं।
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वाशिंगटन। भारत में धार्मिक स्वतंत्रता या आस्था की स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग सुनवाई करेगा। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने यह घोषणा करने के साथ जानकारी दी है कि आयोग की पहली बैठक अगले सप्ताह की जाएगी।
यूएससीआईआरएफ ने कहा कि सांसद यह जानना चाहते हैं कि अमेरिकी सरकार हिंसा की घटनाओं को लेकर भारत सरकार के साथ कैसे काम करती है। अल्पसंख्यक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष दूत फर्नांड डी वेरेन्स, विदेशी कानून विशेषज्ञ तारिक अहमद, ह्यूमन राइट्स वॉच के निदेशक सारा यागर, हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स की कार्यकारी निदेशक सुनीता विश्वनाथ और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीति के प्रोफेसर इरफान नूरुद्दीन को आयोग के समक्ष गवाही देने के लिए आमंत्रित किया गया है।
धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना
यूएससीआईआरएफ ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाली भेदभावपूर्ण नीतियां बनाई और लागू की हैं। इन नीतियों में धर्मांतरण विरोधी कानून, गोहत्या कानून, धर्म के आधार पर नागरिकता प्राथमिकताएं देने वाले कानून और नागरिक समाज संगठनों के लिए विदेशी फंडिंग पर प्रतिबंध आदि शामिल हैं। यूएससीआईआरएफ ने कहा कि भारत में हाल ही में कई हिंसा की घटनाएं हुई हैं। इनमें हरियाणा में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा भड़कना और मणिपुर में ईसाई और यहूदी अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले आदि शामिल हैं। इन्हीं घटनाओं को हवाला देते हुए संघीय आयोग ने कहा कि भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को कम करने के लिए नई रणनीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालने की जरूरत है।