Home > विदेश > सुंदर पिचाई ने दिया युवाओं को स्पेशल मैसेज

सुंदर पिचाई ने दिया युवाओं को स्पेशल मैसेज

सुंदर पिचाई ने दिया युवाओं को स्पेशल मैसेज
X

दिल्ली। गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने 2020 में ग्रेजुएशन करने वाले युवाओं को अपने विशेष संदेश में कहा कि उन्हें अपने विचार खुले रखने चाहिए, आशावान बने रहना चाहिए। साथ ही इस बात के लिए उत्सुक रहना चाहिए कि हर चीज को बदलने का एक अवसर होता है। कोविड-19 संकट के कारण ग्रेजुएशन खत्म होने पर होने वाले दीक्षांत समारोह आयोजित नहीं हो सके हैं। ऐसे में गूगल के वीडियो मंच यूट्यूब पर एक वर्चुअल कार्यक्रम में उन्होंने इन छात्रों को अपना संदेश दिया।

इस कार्यक्रम में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा, कोरिया का पॉप समूह बीटीएस, गायक बेयांस और लेडी गागा, पूर्व रक्षा सचिव रॉबर्ट एम. गेट्स, अमेरिका की पूर्व विदेशमंत्री कोंडोलेजा राइस और मलाला युसुफजई शामिल हुई।

पिचाई ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि इस तरह के ग्रेजुएशन दीक्षांत समारोह (graduation ceremony) की आपने कल्पना की होगी। ऐसे समय में जब आप अपने ग्रेजुएट होने का उत्सव मना रहे हैं तब आप इसका भी खेद मना रहे होंगे कि आपने क्या खोया, अपनी योजनाओं के बारे में सोच रहे होंगे और अनुभव पाने के लिए इंतजार कर रहे होंगे। ऐसे में अपने को आशावान रखना मुश्किल हो सकता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में आपको विचार खुले रखने होंगे, आशावान बने रहना होगा और अधीर रहना होगा। यदि आप यह कर सकते हैं तो इतिहास आपको 2020 के छात्रों के तौर पर इसलिए याद नहीं रखेगा कि आपने क्या खोया बल्कि इसलिए याद रखेगा कि आपने क्या बदला। आपके पास सब कुछ बदलने का अवसर है। मैं आशावान हूं कि आप यह कर पाएंगे।

पिचाई ने छात्रों से कहा कि इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं जब युवाओं ने आज जैसी चुनौतियों का डटकर सामना किया, चाहे वह 1920 के ग्रेजुएट हों जब महामारी खत्म हो रही थी, चाहे वह 1970 में वियतनाम युद्ध के वक्त के ग्रेजुएट्स हो या फिर वह अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमले से कुछ माह पहले ग्रेजुएट हुए लोग हों। इतिहास के ये मिसालें सिखाती हैं कि हमें आशावान बने रहना चाहिए।

अपने इस जुनून को बनाए रखें। इसी की मदद से अगली टेक्नोलॉजी क्रांति आएगी और वो चीजें बनेंगी जिसका मेरी पीढ़ी ने कभी सपना भी नहीं लिया।

मेरे पिता ने मुझे अमेरिका भेजने के लिए प्लेन की टिकट में अपनी एक साल की सैलरी खर्च कर दी थी। तब मैं पहली बार प्लेन में चढ़ा था। मुझे भाग्य के अलावा जो चीजें यहां तक लाईं, वो हैं- टेक्नोलॉजी के प्रति मेरा गहरा जुनून और खुला दिमाग।

Updated : 9 Jun 2020 8:21 AM GMT
Tags:    
author-thhumb

Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


Next Story
Top