आसिम मुनीर की बढ़ी शक्तियों पर UN की चिंता, संविधान में बदलाव से सेना बेलगाम

पाकिस्तान की राजनीति और सैन्य ढांचे में हो रहे बड़े फेरबदल पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है। बयान में साफ कहा गया 27वें संविधान संशोधन से पाकिस्तान की न्यायपालिका, मानवाधिकार व्यवस्था और सत्ता संतुलन पर गंभीर असर पड़ सकता है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) के हाई कमिश्नर वोल्कर टर्क ने पाकिस्तान की संसद द्वारा किए गए बदलावों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनकी चेतावनी उस समय आई है जब सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को पहले से कहीं अधिक अधिकार मिल चुके हैं और यह सब बेहद कम समय में हुआ है।
संशोधन कैसे हुआ ?
12 नवंबर को पाकिस्तान की संसद ने रिकॉर्ड गति से 48 संवैधानिक अनुच्छेदों में बदलाव कर दिए। यह संशोधन सेना को अतिरिक्त शक्तियां देता है, सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्र भूमिका को सीमित करता है। राष्ट्रपति और टॉप सैन्य नेतृत्व को आजीवन आपराधिक मामलों से छूट देता है। PM शहबाज शरीफ, नवाज शरीफ और सरकार के लगभग सभी शीर्ष नेता इस वोटिंग के दौरान संसद में मौजूद थे।
UN क्यों चिंतित है? वोल्कर टर्क के 3 बड़े बयान
1. न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा
टर्क का कहना है कि इतनी बड़े पैमाने के बदलाव बिना विस्तृत चर्चा के पास करना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है। उनके मुताबिक अगर अदालतों पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ा, तो वे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा नहीं कर पाएंगी।
2. रूल ऑफ लॉ कमजोर होगा
उन्होंने चेतावनी दी कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संतुलन बिगड़ने से पाकिस्तान में कानून व्यवस्था और संस्थागत स्थिरता को खतरा है।
3. सैन्य नेतृत्व को आजीवन छूट पर सवाल
राष्ट्रपति और सेना दोनों को क्रिमिनल छूट देने वाले प्रावधान को UN ने जवाबदेही के सिद्धांतों के खिलाफ बताया। यह व्यवस्था नागरिकों के बजाय सत्ता में बैठे लोगों को सुरक्षा देती है जो किसी भी लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरनाक है।
आसिम मुनीर को ‘असीम’ शक्ति: चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज की नियुक्ति
27वें संशोधन का सबसे बड़ा असर सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की भूमिका पर पड़ा है। वे अब पाकिस्तानी इतिहास के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) बन चुके हैं। तीनों सेनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे पर केंद्रीय नियंत्रण रखेंगे। यह पद सिर्फ आर्मी के अधिकारी को ही दिया जा सकेगा जो सत्ता संतुलन को सीधे सैन्य पक्ष की ओर झुका देता है।
परमाणु हथियारों पर भी सेना का पूरा नियंत्रण
यही वह बिंदु है जिस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा चिंता है। संशोधन के तहत नेशनल स्ट्रैटजिक कमांड (NSC) का गठन किया गया। यह संस्था परमाणु हथियारों और मिसाइल सिस्टम की निगरानी करेगी। यह ज़िम्मेदारी पहले नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) के पास थी, जिसके प्रमुख प्रधानमंत्री होते थे। अब NSC का प्रमुख सेना प्रमुख की सिफारिश पर नियुक्त होगा, यानी पाकिस्तान के परमाणु बटन पर अब सेना का सबसे ज्यादा नियंत्रण होगा।
UN की अपील संशोधन पर पुनर्विचार करे पाकिस्तान
वोल्कर टर्क ने इस पूरे संशोधन की दोबारा समीक्षा की मांग की है। UN का कहना है संस्थाएं मजबूत हों, कमज़ोर नहीं न्यायपालिका राजनीतिक दखल से मुक्त रहे। अधिकारों और जवाबदेही का संतुलन बहाल किया जाए। यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तानी सेना में नेतृत्व फिर से पुनर्गठित हो रहा है और देश का राजनीतिक ढांचा कमजोर स्थिति में है।
