इजराइल के खिलाफ एकजुट हुए 21 मुस्लिम देश, सोमालीलैंड को मान्यता पर विरोध

इजराइल के खिलाफ एकजुट हुए 21 मुस्लिम देश, सोमालीलैंड को मान्यता पर विरोध
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सोमालीलैंड को मान्यता देने पर इजराइल के खिलाफ 21 मुस्लिम देश एकजुट. फैसले को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया।

इजराइल द्वारा सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है । इस कदम के खिलाफ 21 मुस्लिम देशों ने एकजुट होकर कड़ा विरोध जताया है और इसे पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया है. 26 दिसंबर को इजराइल ने सोमालीलैंड को आधिकारिक मान्यता दी.जिससे वह ऐसा करने वाला पहला देश बन गया । इस घोषणा के बाद सोमालीलैंड में लोग सड़कों पर उतरे झंडे लहराए गए और जश्न मनाया . लेकिन दूसरी ओर मुस्लिम देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में नाराज हो गए।

हॉर्न ऑफ अफ्रीका में बढ़ी चिंता

सोमालीलैंड अफ्रीका के हॉर्न क्षेत्र में स्थित है। उसने 1991 में सोमालिया से अलग होकर खुद को स्वतंत्र घोषित किया था. लेकिन अब तक उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल सकी थी. इजराइल की मान्यता को कई देश क्षेत्रीय संतुलन बिगाड़ने वाला कदम मान रहे हैं । इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोमालीलैंड के राष्ट्रपति अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाही के साथ संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए. सोमालीलैंड के राष्ट्रपति ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि इससे मध्य पूर्व और अफ्रीका में शांति व समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा ।

21 मुस्लिम देशों का संयुक्त विरोध

इजराइल के इस फैसले के खिलाफ जॉर्डन मिस्र अल्जीरिया कोमोरोस जिबूती, गाम्बिया, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, मालदीव, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, तुर्किये और यमन ने संयुक्त बयान जारी किया है. इसके अलावा ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने भी कड़ी आपत्ति जताई है । बयान में कहा गया है कि सोमालिया के सोमालीलैंड क्षेत्र को मान्यता देना अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है।

अफ्रीकी संघ और अरब संगठनों की भी आपत्ति

इजराइल के इस फैसले के खिलाफ अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) अफ्रीकी संघ (AU) और OIC ने भी एक सुर में विरोध जताया है अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने कहा कि सोमालीलैंड सोमालिया का अभिन्न हिस्सा है और इस तरह की मान्यता क्षेत्र में शांति और स्थिरता को कमजोर कर सकती है . अरब लीग के महासचिव अहमद अबूल गीत ने इसे राज्यों की एकता के सिद्धांत का खुला उल्लंघन बताया. GCC ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक कदम करार दिया ।

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