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भारत-बांग्लादेश के वायुसेना प्रमुखों ने एक-दूसरे को 'विंटेज विमान' उपहार में दिए

भारत-बांग्लादेश के वायुसेना प्रमुखों ने एक-दूसरे को विंटेज विमान उपहार में दिए
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ढाका। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती को यादगार बनाने के लिए भारत और बांग्लादेश के वायुसेना प्रमुखों ने एक-दूसरे को 'विंटेज विमान' उपहार में दिए हैं। चार दिवसीय सद्भावना यात्रा के आखिरी दिन भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने बांग्लादेश वायुसेना को एक विंटेज अलॉएटे-III हेलीकॉप्टर भेंट किया। इसी तरह बांग्लादेश के वायुसेना प्रमुख ने पाकिस्तानी एफ-86 सेबर फाइटर जेट उपहार में दिया जो '71 के युद्ध के बाद सुरक्षित रखा गया था। इन विरासत विमानों को दोनों पड़ोसी देशों के संबंधों की यादगार के तौर पर संग्रहालयों में रखा जाएगा।

बांग्लादेशी वायुसेना प्रमुख के निमंत्रण पर चार दिवसीय सद्भावना यात्रा पर एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया 22 फरवरी को बांग्लादेश पहुंच गए थे। चार दिनों की यात्रा के दौरान उन्होंने दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने के लिए कई द्विपक्षीय वार्ताएं कीं। 1971 के मुक्ति संग्राम के शहीदों को श्रद्धांजलि देकर उन्होंने अपने दौरे की शुरुआत की। उन्होंने बांग्लादेश एयर फ़ोर्स (बीएएफ) के प्रमुख परिचालन ठिकानों का भी दौरा किया। एयर चीफ की यह यात्रा दोनों देशों की वायुसेनाओं के संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। साथ ही व्यावसायिक विचारों के आदान-प्रदान से दोनों वायु सेनाओं के बीच भविष्य में घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों​ के साथ ही साझा दृष्टिकोण ​भी विकसित हुए हैं​।

यात्रा के आखिरी दिन भारतीय वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने बांग्लादेश वायुसेना को एक विंटेज अलॉएटे-III हेलीकॉप्टर भेंट किया। इस ऐतिहासिक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल​ दिसम्बर, 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में किया गया था। फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी एसयूडी एविएशन ने इस एकल इंजन वाले हेलीकॉप्टर को ​1962 में विकसित किया था। बाद में एयरोस्पेसियल और भारतीय विमान निर्माता कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत अलॉएटे-III हेलीकॉप्टर को भारत में बनाया गया।​ ​एचएएल ने​​ स्थानीय स्तर पर इसे 'चेतक' का नाम दिया। यह हेलीकॉप्टर अब इतने पुराने पड़ चुके हैं कि लगातार क्रैश हो रहे हैं और इनकी सर्विसिंग की भी गंभीर समस्या है, इसलिए इन्हें रिटायर किया जाना है।

Updated : 12 Oct 2021 10:54 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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