Pakistan: फेल ऑपरेशन, झूठा प्रोपेगेंडा और फिर प्रमोशन, भारत से हार के बाद फील्ड मार्शल बने असीम मुनीर; शाहबाज कैबिनेट का फैसला

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना के हाथों करारी शिकस्त खाने वाले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को शहबाज शरीफ सरकार ने इनाम दिया है। भारतीय सेना के हाथों मिली हार के बावजूद भी पाकिस्तान सरकार ने असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट कर दिया।
यह वही असीम मुनीर है, जो न केवल भारत के खिलाफ जहर उगलते रहे है, बल्कि हालिया पराजय के बाद झूठे प्रोपेगेंडा फैलाकर पाकिस्तान की नाकामियों पर पर्दा डालते है।
जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान के सैन्य इतिहास में यह दूसरा मौका है, जब किसी सेना प्रमुख को फील्ड मार्शल की उपाधि दी गई है। इससे पहले 1959 में जनरल अयूब खान को यह पद मिला था।
सिर्फ खास मौकों पर दी जाती है फील्ड मार्शल रैंक
पाकिस्तान में फील्ड मार्शल की उपाधि कोई सामान्य पद नहीं है, बल्कि इसे केवल बेहद विशेष परिस्थितियों में ही दिया जाता है। यह पद सम्मान के तौर पर दिया जाता है और इसके साथ कोई अतिरिक्त संवैधानिक अधिकार या जिम्मेदारी नहीं जुड़ी होती।
पाकिस्तान के कानून के अनुसार, फील्ड मार्शल की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और रक्षा मंत्रालय की संयुक्त सहमति जरूरी होती है। इसके अलावा, संवैधानिक आदेश के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट की मंजूरी भी आवश्यक मानी जाती है।
पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड थे असीम मुनीर
14 फरवरी 2019 को जम्मू-श्रीनगर हाईवे के पुलवामा में हुए हमले का मास्टरमाइंड असीम मुनीर को माना जाता है। भारत के खिलाफ नफरत रखने वाले मुनीर आतंकियों को समर्थन देने और खतरनाक साजिशें रचने के लिए कुख्यात है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने पाकिस्तान की दो प्रमुख खुफिया एजेंसियों इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और मिलिट्री इंटेलिजेंस के प्रमुख के तौर पर भी काम किया है। इन पदों पर रहते हुए मुनीर ने भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई।
इमरान खान से विवाद के बाद छोटा हुआ असीम मुनीर का ISI कार्यकाल
जनरल असीम मुनीर को पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘हिलाल-ए-इम्तियाज’ से नवाजा गया। 25 अक्टूबर 2018 को उन्हें इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) का डायरेक्टर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया, लेकिन केवल आठ महीने बाद, जून 2019 में, उन्हें इस पद से हटा दिया गया और उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद को नया डीजी बनाया गया।
इसके बाद मुनीर को गुजरांवाला में कमांडर के रूप में तैनात किया गया। यह पहली बार था जब कोई ISI प्रमुख इतनी जल्दी हटाया गया। माना जाता है कि इस बदलाव के पीछे उनके तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ विवाद था।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि मुनीर ने इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के भ्रष्टाचार का मामला उजागर किया था, जिससे नाराज होकर इमरान के करीबी जनरल कमर जावेद बाजवा ने उन्हें ISI से बाहर का रास्ता दिखाया। हालांकि, इमरान खान ने इस दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि मुनीर ने उन्हें कोई भ्रष्टाचार का सबूत नहीं दिया और न ही उन्होंने उन्हें इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला।
जानिए कौन है लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर
लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर पाकिस्तान के सबसे अनुभवी और प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारियों में से एक है। उन्होंने 25 अप्रैल 1986 को मंगला के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल से सेना में कदम रखा और फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में शामिल हुए। अपने करियर में उन्हें सऊदी अरब में पाकिस्तानी दूतावास में काम करने का मौका मिला और उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भी कई सालों तक सेवा दी।
ब्रिगेडियर के तौर पर, उन्हें ‘आई स्ट्राइक कोर मंगला’ का मुख्य अधिकारी बनाया गया और 2014 में वे मेजर जनरल बने। 2016 में उन्हें पाकिस्तान की मिलिट्री खुफिया एजेंसी का प्रमुख बनाया गया और 2018 में लेफ्टिनेंट जनरल की रैंक मिली।
मुनीर जनरल कमर जावेद बाजवा के अच्छे साथी रहे है। 2017 में वे सेना की खुफिया शाखा के प्रमुख और 2018 में ISI के चीफ बने। जनवरी 2021 से नवंबर 2022 तक उन्होंने क्वार्टरमास्टर जनरल के रूप में भी काम किया।
इमरान खान के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद शहबाज शरीफ ने असीम मुनीर को नवंबर 2022 में पाकिस्तान सेना का नया प्रमुख बनाया। जानकारी के लिए बता दें कि वे 2027 तक इस पद पर रहेंगे। असीम मुनीर पहली बार ऐसे सेना प्रमुख बने है, जो दोनों बड़ी खुफिया एजेंसियों ISI और मिलिट्री इंटेलिजेंस के भी प्रमुख रह चुके है। इसके अलावा दिसंबर 2022 में उन्हें सरकार द्वारा ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया, जो पाकिस्तान की सेना में बहुत बड़ा पुरस्कार है।
