भारत के बाद अफगानिस्तान का बड़ा फैसला: अब पाकिस्तान को नहीं मिलेगा पानी

काबुल। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने की तैयारी शुरू कर दी है। यह खबर सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि उस इतिहास का हिस्सा है जहाँ पानी, सरहद से भी बड़ा मुद्दा बन गया है। तालिबान सरकार के सूचना मंत्रालय ने हाल ही में बताया कि सर्वोच्च नेता मावलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने कुनार नदी पर जल्द से जल्द बांध बनाने के निर्देश दिए हैं। अफगान उपमंत्री मुहाजिर फराही ने यह भी साफ कहा कि अब देश विदेशी कंपनियों का इंतजार नहीं करेगा। बांध का ठेका स्थानीय कंपनियों को दिया जाएगा ताकि काम बिना देरी शुरू हो सके।
हालिया संघर्ष के बाद लिया गया फैसला
इस फैसले के पीछे सिर्फ आर्थिक वजह नहीं है। पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर कई बार तनाव बढ़ा। 9 अक्टूबर से 18 अक्टूबर के बीच चली झड़पों में अफगानिस्तान के 37 नागरिकों की मौत हुई और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए। इस पृष्ठभूमि में यह निर्णय पाकिस्तान के लिए एक गहरा संकेत माना जा रहा है पानी अब ताकत का प्रतीक बन चुका है।
भारत ने भी पहले लिया था ऐसा फैसला
दिलचस्प बात यह है कि भारत ने भी इसी साल अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी रोकने का ऐलान किया था। सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को अस्थायी रूप से स्थगित कर भारत ने यह संदेश दिया था कि आतंकवाद और सहयोग एक साथ नहीं चल सकते। अब अफगानिस्तान का रुख भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है।
कुनार नदी पर डैम निर्माण की तैयारी तेज
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में दक्षिण एशिया में “वॉटर डिप्लोमेसी” यानी पानी के ज़रिए राजनीति और भी तेज़ होगी। पाकिस्तान, जो पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है, अब पानी की कमी से भी दबाव में आ सकता है। दूसरी ओर, अफगानिस्तान अपने घरेलू विकास के लिए जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की योजना बना रहा है।
