पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर 24 साल पहले ही चेतावनी: पुतिन ने बुश से कहा था-यह दुनिया के लिए खतरा है

पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर 24 साल पहले ही चेतावनी: पुतिन ने बुश से कहा था-यह दुनिया के लिए खतरा है
X

जब आज पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर सवाल उठते हैं, तो यह बहस नई नहीं लगती। अब सामने आए डीक्लासिफाइड दस्तावेज बताते हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने करीब 24 साल पहले ही अमेरिका को इस खतरे के बारे में आगाह कर दिया था। साल 2001 में, अपनी पहली मुलाकात में, पुतिन ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से पाकिस्तान को लेकर गंभीर चिंता जताई थी।

पहली मुलाकात में ही उठा पाकिस्तान का मुद्दा

साल 2001 में पुतिन और बुश की पहली आमने-सामने बातचीत हुई। उसी दौरान पुतिन ने साफ शब्दों में कहा था कि पाकिस्तान असल में लोकतांत्रिक देश नहीं, बल्कि एक सैन्य जुंटा है, जिसके पास परमाणु हथियार हैं। पुतिन का मानना था कि यह स्थिति वैश्विक सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है।उन्होंने यह भी सवाल उठाया था कि इसके बावजूद पश्चिमी देश पाकिस्तान की आलोचना क्यों नहीं करते। पुतिन के मुताबिक, इस मुद्दे पर खुली और ईमानदार चर्चा होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हालात बिगड़े तो गलत हाथों में जा सकते हैं हथियार

दोनों नेताओं की बातचीत से यह साफ होता है कि पाकिस्तान के अंदरूनी हालात, राजनीतिक अस्थिरता और परमाणु कमांड सिस्टम को लेकर गहरी चिंता थी। डर यह था कि अगर देश में हालात और बिगड़े, तो परमाणु तकनीक या हथियार आतंकवादी या गैर-राज्य तत्वों के हाथ लग सकते हैं।

ये खुलासे 2001 से 2008 के बीच हुई बातचीत के डीक्लासिफाइड दस्तावेजों से सामने आए हैं, जिन्हें अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव ने सूचना के अधिकार कानून के तहत सार्वजनिक किया है।

एक्यू खान नेटवर्क ने बढ़ाई दुनिया की बेचैनी

बातचीत ऐसे दौर में हुई थी जब आतंकवाद वैश्विक चिंता का बड़ा मुद्दा बन चुका था। पुतिन ने खास तौर पर पाकिस्तान के कुख्यात एक्यू खान नेटवर्क का जिक्र किया था। यह वही नेटवर्क था, जिसके जरिए पाकिस्तान की परमाणु तकनीक ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया तक पहुंची। पुतिन का कहना था कि परमाणु हथियारों से लैस किसी गैर-लोकतांत्रिक देश का होना पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है।

व्हाइट हाउस की बैठक में गंभीर बातचीत

सितंबर 2005 में व्हाइट हाउस में हुई बैठक के दौरान यह चिंता और गहरी हो गई। चर्चा का केंद्र ईरान और उत्तर कोरिया तक परमाणु तकनीक के पहुंचने का मुद्दा था।

पुतिन:यह साफ नहीं है कि ईरान की प्रयोगशालाओं में क्या चल रहा है। पाकिस्तान के साथ उसका सहयोग अब भी जारी है।”

बुश:मैंने मुशर्रफ से इस पर बात की है। उन्होंने कहा कि ए.क्यू. खान को जेल और नजरबंदी में रखा गया है, लेकिन या तो उन्हें पूरी जानकारी नहीं मिल रही, या फिर हमें पूरी सच्चाई नहीं बताई जा रही।”

पुतिन:मेरी जानकारी के अनुसार, ईरान के सेंट्रीफ्यूज में पाकिस्तान का यूरेनियम मिला है।”

यह बातचीत दिखाती है कि दोनों नेता इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से देख रहे थे।

मुशर्रफ का दौर और दोहरी नीति

2001 से 2008 तक पाकिस्तान में जनरल परवेज मुशर्रफ का सैन्य शासन था। 9/11 के बाद अमेरिका और रूस, दोनों ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान का सहयोग ले रहे थे। इसके बावजूद, पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी और नियंत्रण व्यवस्था पर भरोसा नहीं किया जा रहा था।

भारत की पुरानी चिंता फिर सामने आई

इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद भारत की लंबे समय से चली आ रही चिंताएं भी एक बार फिर चर्चा में हैं। भारत बार-बार पाकिस्तान के परमाणु प्रसार रिकॉर्ड पर सवाल उठाता रहा है।

नवंबर 2025 में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पाकिस्तान का इतिहास अवैध परमाणु गतिविधियों, तस्करी और एक्यू खान नेटवर्क से जुड़ा रहा है। वहीं, मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को “गैर-जिम्मेदार देश” बताते हुए उसके परमाणु हथियारों को IAEA की निगरानी में रखने की मांग की थी।

जाने क्या था एक्यू खान नेटवर्क?

एक्यू खान नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े परमाणु घोटालों में गिना जाता है। इसके जरिए पाकिस्तान की परमाणु तकनीक गुप्त रूप से दूसरे देशों को बेची गई।डॉ. अब्दुल कादिर खान ने यूरेनियम संवर्धन, सेंट्रीफ्यूज तकनीक और परमाणु उपकरण ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया तक पहुंचाए। साल 2004 में इस नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ। खान ने टीवी पर आकर अपराध स्वीकार किया, लेकिन उन्हें जेल की बजाय सिर्फ नजरबंद किया गया। आज, दो दशक बाद, जब दुनिया फिर से परमाणु सुरक्षा पर बहस कर रही है, तो पुतिन की 24 साल पुरानी चेतावनी बहुत कुछ याद दिलाती है.

Next Story