India-Pak Tension: वर्ल्ड बैंक चीफ ने पाकिस्तान को दिया झटका, कहां सिंधु जल संधि को लेकर भारत पर नहीं बनाएंगे दबाव

भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहें तनावपूर्ण समय में पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा है। पहलगाम में हुए हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था। जिसके बाद पाक सरकार ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि वे इस मुद्दे को वर्ल्ड बैंक के पास लेकर जाएगें। क्योंकि यह समझौता वर्ल्ड बैंक के मध्यस्थता में ही किया गया था। लेकिन पाकिस्तान की अखरी उम्मीद भी अब खत्म हो चुकी है।
आज वर्ल्ड बैंक चेयरमैन ने भारत और पाकिस्तान के सिंधु जल विवाद पर किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी करने से साफ तौर पर मना कर दिया है।
चेयरमैन अजय बंगा ने कहा कि वर्ल्ड बैंक भारत पर फैसला बदलने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाल सकता है। इस समझौते में हमारा रोल सिर्फ और सिर्फ मध्यस्थता का है। अगर दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार की असहमती है तो वर्ल्ड बैंक उसे सुलझाने के लिए केवल विशेषज्ञ या मध्यस्थ की व्यवस्था कर सकता है। साथ ही चेयरमैन अजय बंगा ने बताया कि हमारी भूमिका मध्यस्थों को ट्रस्ट फंड से फीस देनें की बस है, जिसे संधी के समय बनाया गया था।
क्या है सिंधु जल समझौता?
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान ने 19 सिंतबर, सन् 1960 को सिंधु जल समझौते पर कराची में साइन किए था। ये समझौता वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता हुआ था।
इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच में सिंधु और उसकी सहायक नदियों - रावी, ब्यास, रावी, ब्यास, सतलुज, झेलम, चिनाब और काबुल के पानी बंटवारे पर सहमति बनी थी।
जानकारी के लिए बता दे कि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 23 अप्रैल पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता को निलंबित कर दिया था। इसके बाद पाकिस्तानी सरकार कहना था कि वो भारत के इस एकतरफा और अवैध फैसले को रद्द कराने के लिए वर्ल्ड बैंक से अपील करेगा।
अंतिम फैसला भारत-पाकिस्तान का होगा
चेयरमैन अजय बंगा के इस बयान से यह साफ हो गया है कि वर्ल्ड बैंक इस मामले में किसी भी तकह से दखल नहीं देगा। जो भी विवाद है उसे भारत और पाकिस्तान को खुद सुलझाना होगा।
ऐसे में अब यह देखना होगा कि भारत और पाकिस्तान इस संधि को लेकर क्या फैसला करते है?