उमा भारती ने महिला आरक्षण बिल को लेकर सरकार की मंशा पर उठाए सवाल, 23 सितंबर को बुलाई बड़े नेताओं की बैठक

नईदिल्ली। लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने वाला नारी शक्ति वंदन विधेयक कल संसद से पारित हो गया। एक ओर भारतीय जनता पार्टी में इस विधेयक के पारित होने का जश्न मनाया जा रहा है, वहीँ मप्र में इसके विरोध में स्वर सुनाई देने लगे है। मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री उमा भारती ओबीसी मुद्दे को लेकर लगातार विरोध कर रही है। उमा भारती ने 23 सितंबर को भोपाल में ओबीसी नेताओं की एक बड़ी बैठक बुलाई है। जिसके बाद भजपा के अंदर भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल बढ़ गई है।
उमा भारती ने विधेयक पारित होने के बाद ट्विटर पर लिखा - "आज राज्यसभा में भी महिला आरक्षण बिल पूर्ण बहुमत से पारित हो गया।अब यदि पिछड़े वर्गों को स्थान देने के लिए एक और संशोधन का मार्ग निकालना है इसलिए भोपाल शहर के एवं उसके आसपास के पिछड़े वर्ग के प्रमुख नेताओं के साथ विचार विमर्श हुआ। 23 सितंबर को एक और बड़ी बैठक बुलाने का फैसला हुआ।"
उन्होंने आगे लिखा - " कल लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया। 27 साल पहले यह विधेयक सर्वानुमति से पारित होने के लिए प्रस्तुत हुआ था तब हमारी पार्टी बीजेपी, काग्रेस एवं वामपंथी एकमत थे। देवेगौड़ा जी द्वारा सदन में पेश करते समय ही यह विधेयक ओबीसी, एससी, एसटी आरक्षण की दलील पर स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया। कल तक यह लंबित रहा. जिस ओबीसी आरक्षण के वजह से यह विधेयक रुका रहा उसके बिना ही यह पारित हो गय। "
उन्होंने आगे लिखा कि,"हमारी पार्टी की सरकार ने इसको जिस भी रूप में पारित किया वह आज स्वीकार है किंतु पार्टी की मर्यादा में रह कर लोकतांत्रिक तरीके से जब तक यह विधेयक लागू नहीं होता तब तक ओबीसी आरक्षण के संशोधन के लिए दृढ़निश्चयी बने रहेंगे.यह आरक्षण संविधान में विशेष संशोधन हैं तो देश की 60% आबादी ओबीसी के लिए एक संशोधन और किया जा सकता है.हम सभी अपनी तपस्या एवं मोदी जी पर अपना विश्वास बनाये रखे। "
भाजपा को हो सकता है नुकसान -
राजनितिक विश्लेषकों का मानना है कि मप्र में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उमा भारती के तीखे तेवर भाजपा पर भारी पड़ सकते है। वे शुरू से ही ओबीसी के मुद्दे को लेकर मुखर है, ऐसे में आगामी चुनाव में ओबीसी वोटर उमा भारती के इशारे पर भाजपा से दूर हो सकता है। जिससे चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
