शैलो वाटर क्राफ्ट के आठ जहाजों में से तीसरा 'अंजदीप' लॉन्च

शैलो वाटर क्राफ्ट के आठ जहाजों में से तीसरा अंजदीप लॉन्च
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अंजदीप द्वीप का सामरिक समुद्री महत्व दर्शाने के लिए रखा गया जहाज का नाम

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के लिए निर्मित शैलो वाटर क्राफ्ट (एसडब्ल्यूसी) के आठ जहाजों में से तीसरे 'अंजदीप' का शुभारम्भ मंगलवार को कट्टुपल्ली में किया गया। नौसैनिक समुद्री परंपरा को ध्यान में रखते हुए एसएफसी के कमांडर इन चीफ वाइस एडमिरल आरबी पंडित की पत्नी प्रिया पंडित ने अथर्ववेद के मंत्रोच्चारण के साथ जहाज को लॉन्च किया। इस जहाज का नाम कारवार से दूर स्थित अंजदीप द्वीप का सामरिक समुद्री महत्व दर्शाने के लिए 'अंजदीप' रखा गया है।

यह द्वीप एक बांध (ब्रेकवाटर) के जरिए मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है और आईएनएस कदंबा का हिस्सा है। इस आयोजन के बाद वाइस एडमिरल पंडित ने 7वें एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाज की निर्माण प्रक्रिया (कील बिछाने का काम) भी शुरू करा दिया। दरअसल, रक्षा मंत्रालय और कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) में आठ एसडब्ल्यूसी जहाजों के निर्माण के लिए 29 अप्रैल, 2019 को अनुबंध हुआ था। निर्माण रणनीति के अनुसार जीआरएसई, कोलकाता में चार जहाजों का निर्माण किया जा रहा है और शेष चार जहाजों के निर्माण के लिए मैसर्स एलएंडटी शिपबिल्डिंग, कट्टुपल्ली के साथ उप-अनुबंध किया गया है।

अर्नाला श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना के सेवारत अभय वर्ग एएसडब्ल्यू कॉर्वेट्स की जगह लेंगे। ये तटीय समुद्री इलाकों में पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन, लो इंटेंसिटी मैरीटाइम ऑपरेशंस (एलआईएमओ) और तटीय जल में उपसतह निगरानी सहित माइन लेइंग ऑपरेशन के लिए डिजाइन किए गए हैं। 77 मीटर लंबे एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों में 25 समुद्री मील की अधिकतम गति और 1800 एनएम की सहनशक्ति के साथ 900 टन की विस्थापन क्षमता है। महज छह महीने की अवधि में एक ही श्रेणी के तीन जहाजों का शुभारम्भ करना केंद्र सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन के हिस्से के रूप में स्वदेशी जहाज निर्माण के प्रति हमारे संकल्प को मजबूत करता है। इस परियोजना के तहत निर्मित पहले जहाज को इस साल दिसंबर तक भारतीय नौसेना को सौंपने की योजना है। एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जिससे देश की जहाज निर्माण क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

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