साल का आख़िरी ‘कोल्ड सुपरमून’: पूर्णिमा पर दिखा चमकता विशाल चांद

साल का आख़िरी ‘कोल्ड सुपरमून’: पूर्णिमा पर दिखा चमकता विशाल चांद
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इस साल की आखिरी पूर्णिमा का चांद गुरुवार शाम को खास तरह से नजर आया। वैज्ञानिकों ने इसे कोल्ड सुपरमून नाम दिया है। इस अद्भुत नज़ारे को लोगों ने बिना किसी दूरबीन के सामान्य आंखों से देखा।

चांद पृथ्वी से रहा बेहद करीब

विज्ञान प्रसारक सारिका घारू के मुताबिक, आज चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब है। इसकी दूरी लगभग 3,57,218 किलोमीटर है। इसी कारण यह सामान्य पूर्णिमा की तुलना में ज्यादा बड़ा और ज्यादा चमकीला दिखाई दे रहा है।

उन्होंने कहा कि चांद निकलने के दौरान मून इल्यूजन के कारण यह और भी बड़ा नजर आता है। पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए यह शुक्रवार तड़के 4 बजकर 44 मिनट पर पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु पेरिजी (चंद्रमा की कक्षा का वह बिंदु, जहां वह पृथ्वी के सबसे निकट होता है) पर पहुंच जाएगा।

30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला

सारिका के मुताबिक, जब पूर्णिमा का चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो उसे सुपरमून कहा जाता है। ऐसे में चांद सामान्य दिनों की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकीला दिखाई दे सकता है। नए साल में इतना नजदीकी सुपरमून देखने के लिए अब 23 दिसंबर 2026 का इंतजार करना होगा।

जुलाई में होता है सुपर बक मून

जुलाई में दिखाई देने वाले सुपरमून को बक मून कहा जाता है। अंग्रेज़ी में बक का मतलब वयस्क नर हिरण होता है। यह नाम उस समय के संदर्भ में दिया गया है, जब हिरणों के नए सींग उगते हैं। कुछ जगहों पर जुलाई के सुपरमून को थंडर मून भी कहा जाता है, क्योंकि इस महीने में बादल गरजना और बिजली कड़कना आम बात है।

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