मुंबई: “तकनीकी सिर्फ उन्नति का मार्ग नहीं है, बल्कि चेतना की गहरी राह भी है” - डॉ. एस. जयशंकर…

“तकनीकी सिर्फ उन्नति का मार्ग नहीं  है, बल्कि चेतना की गहरी राह भी है” - डॉ. एस. जयशंकर…
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मुंबई: मुंबई में आयोजित विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES) 2025 में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मनोरंजन की दुनियाँ में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी उभरती नई इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की परिवर्तनकारी क्षमता पर विशेष जोर दिया।

साथ ही इस इंडस्ट्री से जुड़े वैश्विक मीडिया से मनोरंजन की दुनियाँ में नैतिकता, लोकतंत्रीकरण और समावेशिता को बनाए रखने का आग्रह किया।

Wave 2025 के दूसरे दिन विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने वैश्विक मीडिया संवाद में पहुंचे मंच ओर उनके साथ कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन मौजूद रहे।

विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने अपनी बात -चीत में इस बात पर जोर डाला कि कैसे WAVE शिखर सम्मेलन फ़िल्म निर्माता -निर्देशक, अभिनेताओं, लेखकों सहित इंडस्ट्री से जुड़े सभी कलाकारों के लिए एक वैश्विक मंच बनने जा रहा है।

उन्होंने मीडिया नैतिकता, सांस्कृतिक एकीकरण और तकनीकी अनुकूलन के वैश्विक समावेश के लिए WAVE Summit जैसे मंच का भारत से शुरू होना एक बहुत बड़ी उपलब्धि बताई।

डॉ. जयशंकर ने कहा, "एआई का युग न सिर्फ कल्पना से परे है बल्कि संभावनाओं से भरा है। लेकिन इसके साथ ही उभरती हुई तकनीकों का समझदारी से उपयोग करने की जिम्मेदारी भी हमारे देश के कंटेंट क्रिएटर पर है।

इंडस्ट्री में वैल्यू और योग्यता पर ज़्यादा बल देने की ज़रूरत है और नेपोटिज्म यानी पक्षपात को ख़त्म करने की ज़रूरत है। उन्होंने तकनीकी के नए नवाचार और सामाजिक को जोड़ते हुए कहा कि कहानियाँ हो तकनीकी इसका इस्तेमाल सकारात्मक दृष्टि से समाज की भलाई के लिए होना चाहिए।

जिसमें तकनीकी वाले आधुनिक समाज के साथ परंपरा और संस्कृति को जोड़ने वाली समानांतर रेखायें होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई के भविष्य को निष्पक्षता और जिम्मेदारी के साथ आकार दिया जाना चाहिए। वैश्विक मनोरंजन की दुनियाँ में भारत के दृष्टिकोण पर बोलते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि "विकसित भारत" के निर्माण में नवाचार महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि तकनीकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए। "प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हमारी विशाल विरासत के बारे में जागरूकता को गहरा करने के लिए होना चाहिए । खासकर युवा पीढ़ियों के लिए। यह केवल उन्नति का मार्ग नहीं नहीं है, बल्कि चेतना की गहरी राह भी है।"

उन्होंने कहा की वैश्विक सामाजिक बदलाव हो रहे है और पूरा विश्व "आज संस्कृति के डोर के माध्यम से एक दूसरे से बंध रहा है। ऐसे में हमें हमारी अपनी संस्कृति और परंपराओं की विरासत को खूबसूरत एवं रचनात्मक आवाज़ देने की जरूरत है।

उन्होंने भारत के युवाओं को विकसित भारत और वैश्विक, रचनात्मक अर्थव्यवस्था के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक और डिजिटल भविष्य के साथ तालमेल बिठाने के लिए मानसिक तौर पर नीतिगत बदलावों की आवश्यकता है।

वैश्विक रूप से समावेशी मीडिया और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर भी जोर दिया और सोशल मीडिया को मीडिया का एक मज़बूत और ज़िम्मेदार माध्यम बताया।

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