शशि थरूर कह गए बड़ी बात- प्रधानमंत्री की हार, भारत की हार जैसी

शशि थरूर कह गए बड़ी बात- प्रधानमंत्री की हार, भारत की हार जैसी
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"विदेश नीति देश की होती है, पार्टी की नहीं"

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि विदेश नीति को पार्टी राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी दल की नहीं, बल्कि पूरे देश की जिम्मेदारी होती है।

“प्रधानमंत्री की हार, भारत की हार जैसी”

शुक्रवार को इंडिया टुडे से बातचीत में शशि थरूर ने कहा कि अगर कोई राजनीति में प्रधानमंत्री की हार पर खुश होता है, तो वह असल में भारत की हार की खुशी मना रहा होता है। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू को याद करते हुए कहा,“अगर भारत मर गया, तो कौन जिएगा?”थरूर ने इशारों में कहा कि राष्ट्रीय हितों पर राजनीति करना देश के लिए नुकसानदेह हो सकता है।

बदलती सैन्य रणनीति पर चिंता

थरूर ने पाकिस्तान से आने वाले खतरों को गंभीर बताते हुए कहा कि भारत को उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। उनके मुताबिक पाकिस्तान अपनी सैन्य रणनीति बदल रहा है और अब हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक और छिपकर हमले (स्टील्थ स्ट्रैटेजी) पर ज्यादा जोर दे रहा है।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पहले भी ड्रोन, रॉकेट और मिसाइल हमलों का इस्तेमाल कर चुका है और अब और ज्यादा खतरनाक तकनीकों की ओर बढ़ रहा है।

पाकिस्तान में असली ताकत सेना के हाथ

पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति पर बोलते हुए थरूर ने उसे एक “बेहद समस्याग्रस्त देश” बताया। उन्होंने कहा कि वहां नाम मात्र की नागरिक सरकार है, जबकि असली सत्ता सेना के हाथों में है। नीति निर्धारण सेना के इशारों पर होता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।

थरूर की अहम बातें

पाकिस्तान की GDP ग्रोथ करीब 2.7% है, जबकि भारत की आर्थिक वृद्धि 7% या उससे अधिक है। कमजोर अर्थव्यवस्था पाकिस्तान को जोखिम भरे फैसलों की ओर धकेल सकती है।

पाकिस्तान अब टेक्सटाइल और कृषि जैसे उन सेक्टरों में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है, जहां भारत पहले से मजबूत है।

पाकिस्तान ने अमेरिका को खनिज संसाधनों तक पहुंच का प्रस्ताव दिया है और क्रिप्टो से जुड़े कारोबार को कथित तौर पर ट्रम्प परिवार से जुड़ी कंपनी को सौंपा है।

दुनिया तेजी से बदल रही है, ऐसे में सवाल यह नहीं कि किसे काबू में किया जाए, बल्कि यह है कि अस्थिर देशों से कैसे निपटा जाए।

बांग्लादेश ऊर्जा संकट, महंगाई और निवेशकों के भरोसे की कमी से जूझ रहा है।

बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच रक्षा समझौतों पर चर्चा भारत के लिए चिंता का संकेत है।

भारत के लिए एक शांत और स्थिर बांग्लादेश बेहद जरूरी है, क्योंकि अस्थिरता उसे भारत की “सॉफ्ट अंडरबेली” बना सकती है।

बांग्लादेश पर भी जताई चिंता

थरूर ने कहा कि बांग्लादेश में कुछ ताकतें भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश कर रही हैं। पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर दी जा रही धमकियां और कट्टरपंथी संगठनों की सक्रियता हालात को और संवेदनशील बना रही है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने बांग्लादेश के लिए बंदरगाह, रेल और ऊर्जा ग्रिड जैसी कई कनेक्टिविटी योजनाएं प्रस्तावित की हैं, जो दोनों देशों के हित में हैं बशर्ते वहां स्थिरता बनी रहे।

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