Fodder Scam: लालू यादव को झटका, चारा घोटाले में सजा बढ़ाने वाली CBI की याचिका हाई कोर्ट ने की मंजूर

लालू यादव को झटका, चारा घोटाले में सजा बढ़ाने वाली CBI की याचिका हाई कोर्ट ने की मंजूर
X

High Court accepts Increase Sentence Plea in Fodder Scam : रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने 9 जुलाई 2025 को चारा घोटाले के देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये की फर्जी निकासी से जुड़े मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख और बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, पूर्व आईएएस अधिकारी बेक जूलियस और ट्रेजरी अधिकारी सुधीर कुमार भट्टाचार्य की सजा बढ़ाने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने सीबीआई की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। इस निर्णय से लालू प्रसाद यादव और अन्य दोषियों की कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

सीबीआई की याचिका

सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश की अदालत द्वारा दी गई सजा को अपर्याप्त बताते हुए सजा बढ़ाने की मांग की थी। इस मामले में मूल रूप से छह दोषियों—लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस, सुधीर कुमार भट्टाचार्य, आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद- के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। हालांकि, आरके राणा, फूलचंद सिंह, और महेश प्रसाद की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए अब केवल तीन दोषियों के खिलाफ सुनवाई आगे बढ़ेगी।

सीबीआई के अधिवक्ता दीपक भारती ने कोर्ट में दलील दी कि विशेष न्यायाधीश की अदालत ने मामले (कांड संख्या RC 64A/96) में पूर्व सांसद और लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जगदीश शर्मा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत सात-सात साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। वहीं, लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस और सुधीर कुमार भट्टाचार्य को केवल साढ़े तीन साल की सजा दी गई थी।

सीबीआई ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि लालू प्रसाद यादव के संरक्षण में चारा घोटाले को अंजाम दिया गया। इसके बावजूद, घोटाले को संरक्षण देने वाले प्रमुख आरोपियों को कम सजा देना उचित नहीं है। सीबीआई ने मांग की कि इन तीनों दोषियों की सजा को जगदीश शर्मा के समान सात साल तक बढ़ाया जाए।

क्या है देवघर चारा घोटाले का मामला ?

चारा घोटाला, जो 1990 के दशक में एकीकृत बिहार के पशुपालन विभाग में फर्जी बिलों के जरिए कोषागार से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी का मामला है, 1996 में सामने आया था। देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये की फर्जी निकासी के इस मामले में सीबीआई ने 1996 में प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच के बाद दायर आरोप पत्र के आधार पर सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने 23 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाया और 6 जनवरी 2018 को सजा का ऐलान किया।

निचली अदालत ने लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस, सुधीर कुमार भट्टाचार्य, आरके राणा, फूलचंद सिंह, और महेश प्रसाद को पीसी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत साढ़े तीन साल की सजा सुनाई थी। वहीं, जगदीश शर्मा को साढ़े सात साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

लालू प्रसाद यादव पांच मामलों में दोषी

लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के पांच मामलों- देवघर, दुमका, चाईबासा, और डोरंडा कोषागार से संबंधित- में दोषी ठहराया गया है। इनमें उनकी सजा तीन से सात साल तक है, और कुल मिलाकर उन्हें 27.5 साल की सजा सुनाई गई है। हालांकि, वे वर्तमान में सभी मामलों में जमानत पर हैं। अप्रैल 2022 में झारखंड हाईकोर्ट ने डोरंडा कोषागार मामले में उन्हें जमानत दी थी, क्योंकि उन्होंने अपनी पांच साल की सजा का आधा समय पूरा कर लिया था।

लालू प्रसाद यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि वे इस घोटाले में निर्दोष हैं और निचली अदालत ने “अविश्वसनीय” गवाहों के बयानों और कथित “मुख्य साजिशकर्ताओं” के साथ उनकी निकटता के आधार पर उन्हें गलत तरीके से दोषी ठहराया। उनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति, जिसमें किडनी ट्रांसप्लांट और अन्य गंभीर बीमारियां शामिल हैं, को भी जमानत याचिकाओं में प्रमुखता से उठाया गया है।

सीबीआई ने लगातार तर्क दिया है कि लालू प्रसाद यादव की सजा को एक साथ (concurrent) नहीं, बल्कि क्रमिक रूप से (consecutive) गिना जाना चाहिए, जिसका मतलब है कि उनकी कुल सजा 14 साल होगी। सीबीआई का कहना है कि झारखंड हाईकोर्ट ने 2020 और 2022 में जमानत देते समय यह मान लिया कि सजा एक साथ चलेगी, जो गलत है। सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई जनवरी 2024 तक टल चुकी है।

Tags

Next Story