एक लॉन्चर से दो मिसाइलें: DRDO ने प्रलय का सफल ‘सल्वो टेस्ट’ कर दिखाया दम

एक लॉन्चर से दो मिसाइलें: DRDO ने प्रलय का सफल ‘सल्वो टेस्ट’ कर दिखाया दम
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DRDO ने प्रलय मिसाइल का सल्वो लॉन्च सफलतापूर्वक किया। स्वदेशी मिसाइल, मजबूती और रणनीतिक क्षमता के साथ भारत की रक्षा तैयारियां।

ओडिशा के चांदीपुर तट पर बुधवार सुबह भारतीय रक्षा तकनीक एक नई उपलब्धि दर्ज की गई. करीब सुबह 10:30 बजे, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने प्रलय मिसाइल का एक ऐसा परीक्षण किया जिसने विशेषज्ञों के बीच चर्चा की लय बदल दी ।

सलवो लॉन्च: क्या खास है इसमें?

सबसे पहले तो यह समझ लीजिए कि आम तौर पर एक मिसाइल लॉन्चर एक-एक करके ही मिसाइल छोड़ता है, लेकिन इस बार दो मिसाइलें लगभग एक साथ दागी गईं जिसका मतलब है कि सिस्टम तेज़ सटीक और किसी आकस्मिक स्थिति में भी पलक झपकते जवाब दे सकता है । चांदीपुर की इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) ने इस परीक्षण को करीब से मॉनीटर किया हर सेंसर, हर रडार और हर तकनीकी उपकरण ने उड़ान की हर पल की जानकारी एकत्र की ।



शॉर्ट-रेंज क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है प्रलय

जब हम मिसाइलों की बात करते हैं तो आम लोगों के दिमाग में या तो डर का भाव आता है या फिर किसी रोमांचक फिल्म की तरह. लेकिन प्रलय मिसाइल कुछ अलग है । यह शॉर्ट-रेंज क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, इसे पूरी तरह भारत में ही विकसित किया गया है मतलब स्वदेशी तकनीक, इसकी रिपोर्ट की गई रफ्तार लगभग 7500 किमी प्रति घंटे है यह करीब 1000 किलो का वॉरहेड ले जा सकती है ।

DRDO ने पहले भी ट्रायल किए हैं

यह पहला मौका नहीं है जब प्रलय ने अपनी क्षमता दिखाई. 28–29 जुलाई को भी इसी मिसाइल के यूजर इवैल्यूएशन ट्रायल सफल रहे थे उस समय सेना और वायुसेना ने उसकी प्रदर्शन क्षमता की बारीकी से जांच की थी रणनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे परीक्षण तकनीक को परखने के साथ-साथ आत्म-विश्वास भी बढ़ाते हैं और यही आत्मविश्वास अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करता है ।

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