PMO अब सेवा तीर्थ: देशभर के राजभवन बनेंगे लोक भवन

सोमवार की सुबह देश की राजनीति और प्रशासन में एक बड़ा बदलाव दर्ज हुआ। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से लेकर राजभवन और केंद्रीय सचिवालय तक नामों का एक ऐसा बदलाव जिसे केंद्र सरकार सांस्कृतिक पुनर्रचना बता रही है। माहौल कुछ ऐसा रहा जैसे पुराने भारत और नए भारत के बीच कोई प्रतीकात्मक सेतु खड़ा हो गया हो।
PMO का नया नाम: सेवा तीर्थ
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर सेवा तीर्थ कर दिया है। यह बदलाव सिर्फ नाम का नहीं, बल्कि सरकार की मंशा का प्रतीक बताया गया हम सत्ता के केन्द्र से सेवा के केन्द्र की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह प्रशासनिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक परिवर्तन है एक ऐसा संकेत कि सार्वजनिक संस्थानों की पहचान अब राजसत्ता से हटकर लोकसेवा पर केंद्रित होगी।
PMO का नया घर: साउथ ब्लॉक से शिफ्टिंग शुरू
78 साल पुराने साउथ ब्लॉक से PMO अब नए, हाई-टेक कैंपस सेवा तीर्थ की ओर जा रहा है।
- सेवा तीर्थ-1: PMO
- सेवा तीर्थ-2: कैबिनेट सचिवालय
- सेवा तीर्थ-3: NSA का कार्यालय
यह कैंपस सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का अहम हिस्सा है।
देशभर के राजभवन अब लोक भवन
गृह मंत्रालय ने इस बदलाव के पीछे साफ तर्क दिया है राजभवन नाम औपनिवेशिक मानसिकता को मजबूत करता है। पिछले साल राज्यपालों के सम्मेलन में सुझाया गया था कि राज्यपाल और उप-राज्यपाल के आवास/कार्यालयों का नाम बदलना चाहिए। अब इन्हें लोक भवन और लोक निवास के नाम से जाना जाएगा। यह कदम उन बदलावों की कड़ी है जिनमें पहले राजपथ को कर्तव्य पथ और रेस कोर्स रोड को लोक कल्याण मार्ग बनाया गया था।
कर्तव्य पथ का प्रशासनिक जोन नया रूप
सरकार 3 किमी के कर्तव्य पथ क्षेत्र को आधुनिक, पैदल चलने योग्य और प्रशासनिक रूप से अधिक समन्वित बनाने की तैयारी में है। नया कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (CCS) अब कर्तव्य भवन के नाम से जाना जाएगा। यहां 10 नए प्रशासनिक ब्लॉक तैयार हैं। इनमें वे मंत्रालय शिफ्ट होंगे जो अभी पुरानी इमारतों शास्त्री भवन, कृषि भवन, निर्माण भवन में बिखरे हुए हैं। एक ब्लॉक में काम शुरू हो चुका है, तीन और तैयार खड़े हैं।
नॉर्थ ब्लॉक-साउथ ब्लॉक का नया अध्याय
ऐतिहासिक नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को अब एक विशाल संग्रहालय में बदलने की तैयारी है युग-युगीन भारत संग्रहालय इसके लिए फ्रांस की एक प्रतिष्ठित म्यूजियम एजेंसी से समझौता किया गया है। माना जा रहा है कि यह देश के आधुनिक इतिहास और प्रशासनिक विकास का सबसे बड़ा दृश्य-प्रदर्शन केंद्र होगा।
