कर्नाटक: ट्विन सिटी हुबली-धारवाड़ को पीएम मोदी का तोहफा, एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से लैस है नया रेलवे स्टेशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 103 रेलवे स्टेशनों का उद्घाटन किया।
कर्नाटक: दक्षिण भारत का यह हिस्सा न सिर्फ ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर है, बल्कि देशी और विदेशी सैलानियों के दिलों में भी खास जगह रखता है। गुरुवार का दिन देश के 18 राज्यों के साथ-साथ कर्नाटक के लिए भी बेहद अहम रहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधुनिकता, नवीनीकरण और विरासत को समेटे हुए 103 रेलवे स्टेशनों का उद्घाटन किया। इन 103 स्टेशनों में कर्नाटक के पांच स्टेशन शामिल हैं मुनीराबाद, बागलकोट, गडग, गोकक रोड और हुबली-धारवाड़ जिनका उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। इन सभी स्टेशनों को 'अमृत भारत स्टेशन स्कीम' के तहत अपग्रेड किया गया है।
इन अपग्रेडेड रेलवे स्टेशनों को आधुनिकीकरण और सांस्कृतिक विरासत के समन्वय के साथ विकसित किया गया है। यहां वाई-फाई से लैस वर्क स्टेशन, अत्याधुनिक और आरामदायक वेटिंग रूम, स्वच्छ वाशरूम सहित यात्रियों की सुविधा के लिए तमाम अत्याधुनिक इंतज़ाम किए गए हैं।
स्वदेश से बातचीत में दक्षिण पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक मुकुल सरन माथुर ने बताया कि एयरपोर्ट जैसी सुविधाओं से युक्त इन स्टेशनों में केवल आधुनिकता ही नहीं, बल्कि कर्नाटक की समृद्ध संस्कृति भी समाई हुई है, जो इन रेलवे स्टेशनों की दीवारों पर उकेरी गई कलाकृतियों और चित्रों के माध्यम से साफ़ नज़र आती है।
दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म का दर्जा
कर्नाटक का हुबली-धारवाड़ क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े रेलवे प्लेटफॉर्म के रूप में प्रसिद्ध है, और इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। हुबली रेलवे स्टेशन का नाम वर्ष 2023 में हुबली के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी के सम्मान में बदला गया था। हुबली और धारवाड़ को ट्विन सिटी के रूप में जाना जाता है। यह महज़ 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं,
धारवाड़ रेलवे स्टेशन, श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी रेलवे स्टेशन (हुबली) का एक्सटेंशन माना जाता है। श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी पूरे हुबली क्षेत्र के आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं। सन 1919 में उनका हुबली में भगवान शिव के अद्वैत स्वरूप के रूप में उद्भव हुआ था। आज भी उन्हें हुबली की आत्मा और रक्षक के रूप में श्रद्धा से पूजा जाता है।
साउथ वेस्टर्न रेलवे के महाप्रबंधक (जीएम) मुकुल सरन माथुर ने बताया कि हुबली रेलवे प्लेटफॉर्म को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। इस स्टेशन का पूरा नाम 'श्री सिद्धारूढ़ स्वामीजी हुबली जंक्शन' है। यह कर्नाटक में लोंडा रूट के लिए एक महत्वपूर्ण क्रॉसरोड है, जो होसपेट, वास्को-दा-गामा और बेंगलुरु जैसे प्रमुख स्थानों को आपस में जोड़ता है। वर्तमान में इस स्टेशन पर कुल 8 प्लेटफॉर्म हैं, जबकि पहले यहाँ केवल 5 प्लेटफॉर्म ही थे।
प्लेटफॉर्म संख्या 8 की लंबाई 1507 मीटर है, जो इसे दुनिया का सबसे लंबा रेलवे प्लेटफॉर्म बनाती है। इस प्लेटफॉर्म की लंबाई इतनी अधिक है कि दो इलेक्ट्रिक इंजन वाली ट्रेनें एक साथ आमने-सामने की दिशा में खड़ी हो सकती हैं। हुबली स्टेशन का विकास ब्रिटिश काल में वर्ष 1880 में किया गया था। इसके आधुनिकीकरण और विस्तार पर लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत आई है।
