NISAR Satellite: धरती का स्कैनर है निसार! जानिए 5 खूबियां जो इसे अब तक का सबसे पावरफुल सैटेलाइट बनाती है

NISAR Satellite: भारत और अमेरिका ने मिलकर अंतरिक्ष विज्ञान में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 30 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस मिशन पर करीब 12,500 करोड़ रुपए की लागत आई है और इसे इसरो और नासा ने मिलकर तैयार किया है।
#WATCH | NASA-ISRO NISAR satellite onboard GSLV-F16 launched from Satish Dhawan Space Centre (SDSC) in Sriharikota, Andhra Pradesh
— ANI (@ANI) July 30, 2025
NISAR, or NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar is a joint venture of ISRO and NASA and has been designed to provide a detailed view of the Earth to… pic.twitter.com/Cx942PCufJ
इस सैटेलाइट को धरती का स्कैनर कहा जा रहा है, क्योंकि यह हमारी पृथ्वी की सतह में 1 सेंटीमीटर तक के छोटे बदलाव को भी पकड़ सकता है। यह तकनीक वैज्ञानिकों को भूकंप, सुनामी, भूस्खलन और ग्लेशियर पिघलने जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से चेतावनी देने में मदद करेगी।
NISAR को GSLV-F16 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया और 747 किलोमीटर की ऊंचाई पर सूरज के साथ तालमेल वाली पोलर कक्षा (सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट) में स्थापित किया गया। निसार 97 मिनट में धरती का एक चक्कर लगाएगा और 12 दिनों में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा। इस मिशन की अवधि 5 साल रखी गई है।
NISAR सैटेलाइट की 5 खूबियां
धरती का पर्यावरण प्रहरी - जंगलों, खेतों, समुद्र और ग्लेशियरों की निगरानी करेगा और क्लाइमेट चेंज से जुड़े आंकड़े जुटाएगा।
पहला डुअल SAR सैटेलाइट - दो Synthetic Aperture Radars (SAR) से लैस पहला उपग्रह, जो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी बैंड पर काम करके हाई-रिज़ॉल्यूशन डेटा देगा।
गोल्ड-प्लेटेड रडार एंटीना - 12 मीटर का गोल्ड-प्लेटेड एंटीना धरती पर माइक्रोवेव सिग्नल भेजेगा और लौटकर सटीक जानकारी देगा।
सोलर ऐरे से ऊर्जा - इसमें लगा सोलर ऐरे बिजली पैदा करेगा, जिससे रडार लगातार काम करता रहेगा।
L-Band और S-Band SAR - L-Band SAR जमीन के भीतर तक मानचित्र बनाता है, जबकि S-Band SAR खेतों और जल प्रणाली की बारीक जानकारी देता है।
इस मिशन में ISRO ने S-बैंड रडार और सिस्टम बनाए है, जबकि NASA ने L-बैंड रडार, GPS रिसीवर और बड़ा एंटीना दिया है। दोनों एजेंसियां मिलकर इस डेटा का इस्तेमाल करेंगी ताकि दुनिया भर में आपदा प्रबंधन और पर्यावरण की सुरक्षा में मदद मिल सके।
