पांच राज्यों में खतरे में नक्सलियों का अस्तित्व

पांच राज्यों में खतरे में नक्सलियों का अस्तित्व
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बड़े नेताओं के सरेंडर से खत्म हुआ नेतृत्व, नक्सल संगठन ने माना-संगठन को हुआ भारी नुकसान

एक के बाद एक बड़े नक्सली लीडरों की मौत और आत्मसमर्पण से संगठन में भगदड़ की स्थिति बन गई है। वहीं, नक्सलियों की तेलंगाना स्टेट कमेटी ने एकतरफा युद्धविराम कर रखा है, जिससे नक्सली लीडरों की चिंता बढ़ गई है। नक्सलियों के पूर्वी रीजनल ब्यूरो (ईआरबी) ने इसको लेकर एक बयान जारी किया है। इसमें केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा की जा रही कार्रवाई से संगठन को भारी नुकसान होने की बात स्वीकार की गई है।

संगठन में भगदड़ और आत्मसमर्पण बढ़ा

नक्सलियों के पूर्वी रीजनल ब्यूरो (ईआरबी) के प्रवक्ता संकेत ने दो पन्नों का एक प्रेस नोट जारी किया है। इसमें लिखा है कि केंद्र और राज्य सरकारों के लगातार हमलों से संगठन को गंभीर क्षति पहुंची है। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में नक्सल संगठन के वरिष्ठ कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है, जो संगठन के लिए सबसे बड़ा नुकसान है। ये सभी राज्य नक्सलियों की सेंट्रल रीजन कमेटी (सीआरबी) के अंतर्गत आते हैं।

सरकारी कार्रवाइयों से संगठन को भारी नुकसान

प्रवक्ता द्वारा जारी इस बयान में कहा गया है कि सरकारों के लगातार हमलों से सीआरबी को भारी नुकसान हुआ है। कई साथी मारे गए हैं। इस कारण संगठन के कई कार्यकर्ताओं ने शांति वार्ता का आह्वान किया था, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला। जीवन के भय से कई नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं। बयान में कहा गया है कि “क्रांति में उतार-चढ़ाव बहुत स्वाभाविक हैं, हमारी पार्टी ने भी अनेक उतार-चढ़ावों का सामना करते हुए इस स्तर तक पहुंची है।”

सरेंडर करने वालों को बताया पलायनवादी

नक्सली प्रवक्ता ने आत्मसमर्पण करने वालों को पलायनवादी करार दिया है। उसने कहा कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पोलित ब्यूरो सदस्य सोनू, छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और कांकेर जिलों में सतीश, और तेलंगाना में चंद्रन्ना (सीसीएम, एसजेडसी) के नेतृत्व में आत्मसमर्पण हुआ है। प्रवक्ता ने कहा कि ये सभी पलायनवाद के परिणाम हैं, जिन्होंने आंदोलन की रीढ़ को कमजोर किया है।

तेलंगाना में युद्धविराम को बताया अप्रत्याशित कदम

प्रवक्ता संकेत ने कहा कि तेलंगाना राज्य कमेटी पहले ही तेलंगाना सरकार के साथ अप्रत्याशित समझौता कर चुकी है और पिछले छह महीने से एकतरफा युद्धविराम का पालन कर रही है।तेलंगाना राज्य कमेटी के प्रवक्ता जगन ने भी बयान जारी कर कहा है कि आने वाले छह महीनों तक एकतरफा युद्धविराम जारी रहेगा। पूर्वी रीजनल ब्यूरो ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि तेलंगाना राज्य कमेटी ने बिना किसी सूचना या राय-मशवरे के अनौपचारिक रूप से सरकार के सामने सरेंडर कर दिया है। ब्यूरो ने इस कदम की निंदा की है।

सरकार के दबाव से बिखर रहा संगठन

बयान में माना गया है कि पिछले 20 महीनों में 1876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि 270 नक्सली मारे गए और 680 गिरफ्तार हुए हैं। देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 18 से घटकर 11 रह गई है।फिलहाल बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर अब भी सबसे अधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं।

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