मणिपुर उच्च न्यायालय ने हिंसा भड़काने वाले अपने आदेश को 1 वर्ष बाद लिया वापस, राज्य में भड़के थे दंगे
मैतेई समुदाय को एसटी सूची में शामिल नहीं करने वाले आदेश को मणिपुर उच्च न्यायालय ने हटाया
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इम्फाल। मणिपुर उच्च न्यायालय ने बुधवार 21 फरवरी को अपना ही आदेश पलट दिया। उच्च न्यायालय ने मणिपुर सरकार को पिछले साल दिए गए अपने निर्देश को वापस ले लिया है। दरअसल, मैतेई समुदाय को एसटी सूची में शामिल नहीं करने वाले उच्च न्यायालय के निर्देश के कारण मई 2023 में राज्य में दंगे भड़क उठे थे। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की सिफारिश करने को कहा था। इसके विरोध में जनजातीय कुकी समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा शुरू हो गई। अदालत ने अब अपने पहले के आदेश को संशोधित किया है और राज्य सरकार को दिए गए निर्देशों को हटा दिया गया है।
यह फैसला मामले में दायर एक समीक्षा याचिका पर आया और न्यायमूर्ति ने कहा कि अदालत का पहले का निर्देश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत था। अदालतें एसटी सूची में संशोधन या परिवर्तन नहीं कर सकती हैं।
कोर्ट ने पहले प्रतिवादी, मणिपुर सरकार को भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय के पत्र दिनांक 29.5.2013 के जवाब में सिफारिश प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया था। 11 साल पहले जारी इस पत्र के माध्यम से, केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को नई सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ एक औपचारिक सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए कहा था, लेकिन मणिपुर सरकार ऐसा करने में विफल रही।
पिछले साल इस आदेश के साथ, उच्च न्यायालय ने मणिपुर सरकार से मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग पर विचार करने और केंद्र सरकार को एक औपचारिक सिफारिश प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इस आदेश से राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी थी और सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था।
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