जस्टिस सूर्यकांत 53वें मुख्य न्यायाधीश बने, शपथ के बाद भाई-बहन के चरण छुए

जस्टिस सूर्यकांत 53वें मुख्य न्यायाधीश बने, शपथ के बाद भाई-बहन के चरण छुए
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देश के 53वें CJI बने जस्टिस सूर्यकांत:शपथ के बाद भाई-बहन के पैर छुए, पूर्व CJI गवई से गले मिले, मोदी-शाह से मिलने पहुंचे

राष्ट्रपति भवन में सोमवार सुबह हुए औपचारिक समारोह में जस्टिस सूर्यकांत ने देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। समारोह शांत और सधे हुए माहौल में करीब दस मिनट चला, जिसमें शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे कई दिग्गज मौजूद थे। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद जस्टिस सूर्यकांत ने पहले अपने बड़े भाई और फिर बहन के पैर छुए। इस दृश्य ने समारोह में मौजूद लोगों का ध्यान खींचा।

पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को समाप्त हो गया था। समारोह के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने उनसे गर्मजोशी से मुलाकात की। दोनों के बीच हुई संक्षिप्त बातचीत के दौरान गवई ने उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं भी दीं। समारोह में उपराष्ट्रपति, केंद्रीय कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के कई मौजूदा और पूर्व जज, वरिष्ठ वकील और जस्टिस सूर्यकांत के परिजन मौजूद रहे। शपथ के बाद जस्टिस सूर्यकांत ने प्रोटोकॉल के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की। दोनों नेताओं ने उन्हें नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी और आने वाले कार्यकाल को लेकर शुभकामनाएं दीं।



जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी कार्यशैली और फैसलों ने उन्हें शांत, संतुलित और व्यावहारिक जज के तौर पर पहचान दिलाई है। कई अहम संवैधानिक मुद्दों पर दिए गए उनके निर्णयों को कानूनी जगत में सराहा गया है। मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभालने के साथ ही अब उनकी जिम्मेदारियों में देश की शीर्ष अदालत के प्रशासनिक फैसलों से लेकर संवैधानिक बेंचों के गठन तक कई अहम भूमिकाएं शामिल होंगी। अदालत में लंबित मामलों की संख्या, डिजिटल न्याय व्यवस्था की गतिशीलता और तेजी से बदलते कानूनों के बीच न्यायिक संतुलन बनाए रखना उनके कार्यकाल की बड़ी चुनौतियों में होगा।

राष्ट्रपति भवन में शपथ समारोह पूरा होते ही सुप्रीम कोर्ट में भी हलचल बढ़ी। अब अदालत उनके नेतृत्व में नए सत्र की तैयारी कर रही है। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के भीतर कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई इसी दौरान होनी है। देश की न्यायिक व्यवस्था में यह बदलाव सोमवार को आधिकारिक तौर पर दर्ज हो गया और अब निगाहें इस बात पर होंगी कि नए CJI अदालत के कामकाज में क्या नई दिशा तय करते हैं।

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