बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक, इसलिए हालात कठिन: डॉ. मोहन भागवत

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक, इसलिए हालात कठिन: डॉ. मोहन भागवत
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बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि वहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं, इसी कारण परिस्थितियां कठिन बनी हुई हैं। उन्होंने कहा कि यदि हिंदुओं को बांग्लादेश में सुरक्षित रहना है, तो उन्हें संगठित और एकजुट रहना होगा। साथ ही, दुनियाभर के हिंदुओं को उनकी सहायता के लिए आगे आना चाहिए।

कोलकाता के साइंस सिटी सभागार में आयोजित ‘100 वर्ष की संघ यात्रा-नए क्षितिज’ व्याख्यानमाला में सरसंघचालक ने पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं के संरक्षण व संवर्धन पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने संघ की कार्यपद्धति, उसकी वैचारिक यात्रा और भविष्य के एजेंडे पर विस्तार से प्रकाश डाला।

संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि भारत को अपनी सीमाओं के भीतर रहते हुए जितनी भी सहायता संभव हो, करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हिंदुओं के लिए भारत ही एकमात्र देश है। इसलिए हमें वह सब करना होगा, जो हमारे दायरे में संभव है।” सरसंघचालक ने कहा कि इस विषय पर भारत सरकार को भी ध्यान देना होगा।

भारत परंपरागत रूप से हिंदुओं की भूमि है

डॉ. भागवत ने कहा कि एक सुसंगठित समाज वास्तव में समाज की स्वाभाविक अवस्था है। हिंदुओं को हमेशा से इस राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्वशाली माना गया है। इस देश में चाहे जो भी अच्छा या बुरा घटित हो, जो लोग स्वयं को हिंदू नहीं मानते, उनसे शायद ही कभी सवाल किया जाता है। लेकिन जो लोग गर्व से खुद को हिंदू कहते हैं, उनसे हमेशा पूछा जाएगा कि उन्होंने अपने राष्ट्र के लिए क्या किया है, क्योंकि यह परंपरागत रूप से हिंदुओं की भूमि है। यह देश नया नहीं है, बल्कि प्राचीन काल से अस्तित्व में है और हमारी सभ्यता व विरासत के माध्यम से आगे बढ़ता रहा है।

मुस्लिम-विरोधी होने के आरोप पर

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि यदि यह धारणा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुस्लिम-विरोधी है, तो यह गलत है। उन्होंने कहा, “संघ का काम पूरी तरह पारदर्शी है। लोग स्वयं आकर देख सकते हैं। देखने के बाद कई लोगों ने माना है कि संघ हिंदुओं को संगठित करता है और उनकी रक्षा की बात करता है, लेकिन वह मुस्लिम-विरोधी नहीं है।”

बाबरी मस्जिद पर टिप्पणी

डॉ. भागवत ने कहा कि अयोध्या में लंबे समय तक चला विवाद अदालत तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वहां राम मंदिर का निर्माण हुआ, जिससे विवाद समाप्त हो गया। उन्होंने कहा, “अब फिर से बाबरी मस्जिद बनाकर उस विवाद को दोबारा शुरू करने का प्रयास एक राजनीतिक षड्यंत्र है और यह वोटों के लिए किया जा रहा है। इससे न हिंदुओं का भला होगा और न मुसलमानों का।”

संघ को भाजपा के नजरिए से समझना बड़ी गलती

डॉ. मोहन भागवत ने संघ के कामकाज और विचारधारा को स्पष्ट करते हुए विरोधियों और आलोचकों को जवाब दिया। उन्होंने कहा, “संघ को भाजपा के नजरिए से देखना एक गंभीर गलती है। संघ को समझने के लिए स्वयं इसका अनुभव करना आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि संघ जैसा कोई दूसरा संगठन नहीं है। यदि कोई संघ को तुलनाओं के माध्यम से समझने की कोशिश करेगा, तो इससे केवल गलतफहमियां ही पैदा होंगी। संघ के कई स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं—कुछ राजनीति में हैं और कुछ सत्ता के पदों पर हैं।

डॉ. भागवत ने कहा कि संभव है सरकार पहले से ही कुछ प्रयास कर रही हो। कुछ बातें सार्वजनिक होती हैं, कुछ नहीं, लेकिन प्रयास जारी रहना आवश्यक है। अपने संबोधन में उन्होंने भारत की सांस्कृतिक पहचान पर भी विस्तार से चर्चा की।

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